खूंटी। जिले के अड़की प्रखंड के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसी बिरबांकी पंचायत के उम्बुलबाहा गांव में दो और मुरहू प्रखंड की गोड़ाटोली पंचायत अंतर्गत सुरूंदा गांव में एक बोरीबांध बनाये गए। जिले में इस वर्ष अब तक 50 बोरीबांध बनाये जा चुके हैं। अभी अन्य ग्राम सभाओं ने बोरीबांध बनाने का प्रस्ताव सेवा वेलफेयर सोसाईटी के समक्ष रखा है। जिले में जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी और क्षेत्र की ग्राम सभाओं के संयुक्त तत्वावधान में जल संरक्षण को लेकर जनशक्ति से जलशक्ति अभियान के तहत बोरीबांध बनाये जा रहे हैं।
अड़की प्रखंड के घोर नक्सल प्रभावित बीहडों के बीच बसे गांवों के लोगों में बोरीबांध ने जल संरक्षण के प्रति जागरुकता लाने का काम किया है। इस इलाके में सबसे पहले बिरबांकी में 120 फीट लंबा बोरीबांध बनाया गया। इसे देखने दूर-दूर के गांवों से लोग पहुंचे। अन्य गांवों के लोग भी अब बोरीबांध बनाने की इच्छा जताने लगे हैं।
इस क्रम में बिरबांकी पंचायत के उम्बुलबाहा गांव के ग्रामीणों ने सोसाईटी से संपर्क कर बोरीबांध का निर्माण मदईत (श्रमदान) परंपरा से की। दो बोरीबांध के निर्माण में लगभग चार घंटे का वक्त लगा। पूरे गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से श्रमदान कर बोरीबांध का निर्माण कर डाला। इसके बाद काफी बड़े क्षेत्रफल में पानी का ठहराव हो गया है। इसी गंगा नाला पर एक बोरीबांध का निर्माण अगले सप्ताह ग्रामसभा के द्वारा किया जाएगा।
गांव में गंगा नाला के आसपास प्रदान संस्था द्वारा सोलर एरिगेशन सिस्टम लगाया गया है। इससे पूरे गांव के किसान सब्जी की खेती कर रहे हैं। हालांकि उन्हें इस बात डर सता रहा है कि कहीं समय से पहले गंगा नाला का पानी नहीं खत्म हो जाय। अब बोरीबांध का निर्माण हो जाने के बाद गांव के किसान सिंचाई के लिए पानी की होने वाली समस्या से मुक्त हो गए हैं।
इधर मुरहू के सुरूंदा गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान से एक और बोरीबांध बनाने का काम किया है। बता दें कि इससे पहले भी इस गांव के लोगों ने उसी नाले पर तीन बोरीबांधों का निर्माण किया था।
उम्बुलबाहा में श्रमदान करने वालों में बिरसा मुंडा, बिनय मुंडा, लोदरो मुंडा, मनसुख हस्सा, फिलिप हस्सा, सुशील सोय, अभिराम हस्सा, देवसाय मुंडा, लुकस हस्सा, भरोसी हस्सा, दीनानाथ भंडारी, सुशील सोय, हेरमन समद, राहिल हस्सा, निर्मल हस्सा समेत संपूर्ण ग्रामसभा के सदस्यों ने मदईत कर बोरीबांध का निर्माण किया। आदिवासियों की मदईत परंपरा के अनुसार काम की खत्म के बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया गया।