नई दिल्ली। समुद्र से गाद निकालने यानी ड्रेजिंग के क्षेत्र में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने बुधवार को अहम कदम उठाते हुए इंडियन कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया व आईएचसी हॉलैंड के साथ करार किया है।
इस करार के तहत दोनों कंपनियां आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक कदम बढ़ाते हुए ड्रेजर विकसित करेंगे। मौजूदा समय में 90 प्रतिशत ड्रेजिंग का काम विदेशी कंपनियों से करवाया जा रहा है। इस मौके पर मौजूद पत्तन, पोत परिवहन और जल मार्ग मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह करार आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम है। देश में हर साल 1500-2000 करोड़ रुपये की ड्रेजिंग का काम किया जाता है। ज्यादातर ड्रेजर विदेशों से मंगवाएं जाते हैं। अब इस समझौते के बाद 800 करोड़ रुपये की लागत से भारत में ही ड्रेजर बनाया जाएगा। कोचीन में बनाए जाने वाले इस ड्रेजर से मेक इन इंडिया के प्रयासों को भी मदद मिलेगी, क्योंकि इससे हजारों की संख्या में रोजगार भी पैदा होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दो सालों में यह ड्रेजर बन कर तैयार होगा।
इस मौके पर नीदरलैंड के राजदूत मार्टेन वैन डेन बर्ग ने कहा कि यह समझौता हर दृष्टि से महत्वपूर्ण है। दोनों देशों में इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। यह समझौता ब्लू इकॉनमी को बढ़ावा देगी।