आजादी के 74 वर्ष बाद भी लोगों को नही मिल सका है पुल

बिहार
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मधेपुरा। मुरलीगंज प्रखंड के रघुनाथपुर और गंगापुर पंचायत के मुरहो टोला में घाट पुल नहीं बनने से समस्या बनी हुई है।बरसात के मौसम में तो आवाजाही भी बंद हो जाती है । प्रखंड क्षेत्र के गंगापुर और रघुनाथपुर पंचायत के बीच मुरहो टोला घाट पर वर्षों से स्थानीय लोग चचरी पुल बनाकर आवागमन करते हैं। खासकर बरसात के दिनों में चचरी पुल भी काम नहीं आते हैं। आस पास क्षेत्रों के आमलोगो को मुरलीगंज-बिहारीगंज स्टेट हाईवे मुख्य सड़क तक जाने के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता है। 

गंगापुर पंचायत के मुरहो टोला घाट पर पुल नहीं रहने से स्थानीय लोग वर्षों से बैंगा नदी में चचरी पुल बनाकर आवाजाही करने को विवश है। हलांकि बरसात के दिनों में चचरी पुल से आवाजाही भी बंद हो जाती है। ऐसे में गाँव के लोगों को प्रखंड और जिला मुख्यालय तक जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पडती है। बताया गया कि नदी का जलस्तर कम होने पर ग्रामीण प्रत्येक वर्ष चचरी पुल बनाकर आवागमन की सुविधा बहाल करते आ रहे हैं। मुरहो टोला घाट पर पुल निर्माण को लेकर कई बार सांसद, विधायक और पदाधिकारियों से आग्रह किये जाने के बाद भी इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

जानकारी हो कि मुरहो टोला घाट से आस पास क्षेत्र के दर्जनों गाँव के लोग नदी पर लगाए गए चचरी पुल के सहारे आवाजाही करते हैं। हर वर्ष लोगों लगभग डेढ़ से दो सौ फीट का चचरी पुल बनाने की मजबूरी बनी रहती है। रघुनाथपुर पंचायत के धनिकलाल यादव, फौजी राजेन्द्र यादव, प्रवीण प्रिंस, आनंद कुमार चिंटू, रूपेश कुमार, कुंदन यादव, शशी यादव, कंचन यादव, राविलास यादव, जयचंद मुखिया, दशरथ मुखिया, भैरो मुखिया, नित्यानंद यादव, सुमन मुखिया ने कहा कि आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी हमलोग शासन और प्रशासन के द्वारा उपेक्षित किये गये हैं। जबकि नदी दोनों तरफ पक्की सड़क बनी हुई है और वर्षों से हमलोग चचरी पुल बनाकर आवाजाही की विवशता हैं। फिर भी आज तक किसी ने पुल निर्माण कराने की पहल नहीं किया है। 

इन लोगों का कहना था कि अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण इस इलाके के लोगों को ना केवल आवागमन के लिए परेशान होना पड़ता है बल्कि खतरा भी उठाना पड़ता है। पुल नहीं रहने के कारण इस इलाके की लगभग 20 हजार की आबादी को बेहतर आवागमन की सुविधा नहीं मिल पा रही है। लोगों का कहना है कि हर वर्ष बरसात के दिनों में डूबने से मौत भी होती है। पुल आभाव में लंबी दूरी तय करना पड़ता है। खासकर नदी के दोनों तरफ के किसानों को भारी परेशानी होती है। नाव के सहारे अनाज को इस पार से उस पार करने की जोखिम उठाना पड़ता है। अगर अब इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो बाध्य होकर हमलोग पुल निर्माण को लेकर आंदोलन करेंगे। वही बीडीओ अनिल कुमार ने कहा कि जिस पंचायत क्षेत्र में नदी पर चचरी पुल बनाकर आवागमन करने की विवशता है। पंचायत सचिवों से जानकारी लेकर वरीय पदाधिकारी को सूचित किया जाएगा। जिससे संबंधित जगहों पर पुल निर्माण की कवायद शुरू हो। इस संबंध में ग्रामीणों का आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन पुल की आवश्यकता है तो संबंधित विभाग को सूचित किया जाएगा।