आर्थिक समीक्षा 2020-21 : भारत की दृढ़ता को सम्मान

विचार / फीचर
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सुरभि जैन और सोनाली चौधरी

आर्थिक समीक्षा 2020-21 हमारे अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं द्वारा महामारी के खिलाफ अथक संघर्ष के द्वारा दिखाई गई धैर्य और करुणा की अविस्मरणीय मानवीय भावना को सम्मान देती है। यह महामारी को नियंत्रित करने और सावधानीपूर्वक, साहसिक और दूरदर्शी नीति के जरिए आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए अपनाए गए मार्ग के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करती है। इसके साथ ही यह प्रत्येक भारतीय के ‘जीवन बनाम आजीविका’ के अनिश्चितता भरे अंधेरे से ‘जीवन बचाने और आजीविका बचाने’ के मार्ग को तलाशने के संकल्प की प्रशंसा करती है। 2020-21 की पहली तिमाही में 23.9% के तीव्र संकुचन से भारतीय अर्थव्यवस्था के वापस मजबूत होने को लेकर हाल ही में आईएमएफ ने भी अनुमान लगाया है। अगले दो वर्षों में भारत के दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने का अनुमान है। यह भावना हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया की जीत में भी दिखाई दी, जहां सिर्फ 36 रन पर ऑलआउट होने वाली टीम इंडिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था में दिख रही ‘V’ आकार में निरंतर वृद्धि (रिकवरी) की तरह शानदार वापसी करते हुए टेस्ट सीरीज अपने नाम कर ली।

इस पूरे साल, जैसे भारत ने वैश्विक महामारी का बहादुरी से मुकाबला किया। इससे उबरने के लिए खुद अपनी अलग राह चुनी- वह उल्लेखनीय रिकवरी को दिखाता है, चाहे वायरस से लड़ने की बात हो या अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाना सुनिश्चित करना हो। यह लचीलापन हमारे सिस्टम की ताकत से संचालित है जिसने श्रेणीबद्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू किया, स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को रफ्तार दी और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न सुनिश्चित किया। हाल के वर्षों में डिजिटल भुगतान के महत्वपूर्ण मंच का निर्माण हुआ और नकदी हस्तांतरण के माध्यम से गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों को राहत पहुंचाने का एक तेज तंत्र विकसित हुआ। भारत को अपने 137 करोड़ भारतीयों के समर्थन से ताकत मिली जिन्होंने सामाजिक दूरी का पालन किया, मास्क पहने, कोविड से संबंधित नियमों का पालन किया और लड़ाई में औद्योगिक रूप से अपना योगदान दिया।

आर्थिक समीक्षा आर्थिक तरक्की और सामाजिक विकास के मार्ग को अपनाने में प्रभावी नीति निर्धारण की अभिन्न भूमिका को स्वीकार करती है। संक्रमण की दूसरी लहर को टालते हुए अर्थव्यवस्था में रिकवरी रणनीतिक रूप से नीति-निर्धारण में भारत को सबसे अलग खड़ी करती है क्योंकि ऐसे हालात कभी नहीं बने थे और इसमें साहसिक फैसले लिए गए। महामारी को लेकर भारत की मानव केंद्रित नीति की प्रतिक्रिया ने घोर अनिश्चितता में भी आत्मविश्वास को बनाए रखने की शक्ति का प्रदर्शन किया। दूरदर्शी नीति से सशक्त भारत ने इस आपदा को एक अवसर में बदलने का प्रयास किया है। इसके लिए भारत ने अपने स्वास्थ्य एवं टेस्टिंग से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत किया और अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक विकास की क्षमता को मजबूत करने के लिए सुधारों की श्रृंखला लागू की।

नीति निर्धारण में उद्देश्यों की स्पष्टता होना अति आवश्यक है, क्योंकि किसी भी देश के विकास की राह में अनिश्चित और गतिशील कारकों से उत्पन्न दुविधाएं अंतर्निहित होती हैं। तेजी से बदलाव और अनिश्चितता भरे माहौल में ‘जान है तो जहान है’ और ‘संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने’ के स्पष्ट उद्देश्य से सरकार को ‘जीवन बनाम आजीविका’ की दुविधा का सामना करने में मदद मिली। इसके लिए नीतिगत उपायों के क्रम को रफ्तार दिया गया और आगे आती परिस्थितियों के अनुसार कदम उठाए गए। नीतिगत प्रतिक्रिया भी महामारी के विभिन्न चरणों के अनुरूप थी, जो लोगों को राहत प्रदान करने, मांग में सहयोग करने, महामारी के पूर्व के स्तर पर रिकवरी में मदद और राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बनी आवश्यकताओं को अपनाने के अनुकूल थीं। ‘जान है तो जहान है’ से ‘जान भी और जहान भी’ तक एक क्रमिक और सुचारू रूप से परिवर्तन को प्रशस्त किया गया।

आर्थिक समीक्षा भारत के विकास के वर्तमान चरण में नीति निर्धारण के सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य के रूप में आर्थिक विकास पर लगातार ध्यान केंद्रित करने की बात करती है। यह उन घटकों को सामने लाती है जो नीति निर्धारण की प्रभावशीलता को मजबूत करेंगे- निरंतर सुधार, नवाचार, समय पर नियामक सहयोग और अनावश्यक देरी को टालना। आम आदमी से अर्थशास्त्र को संबद्ध करने के पिछली आर्थिक समीक्षा के प्रयासों को जारी रखते हुए, आर्थिक समीक्षा 2020-21 भारत के राज्यों में मूलभूत जरूरतों के सूचकांक को सामने रखती है। यह दिखाती है कि 2012 की तुलना में, 2018 में देश के सभी राज्यों में ‘मूलभूत जरूरतों’ की पहुंच में सुधार हुआ है। ये सुधार व्यापक हैं क्योंकि ये पांच आयामों में प्रत्येक का विस्तार करते हैं जैसे- जल, घर, स्वच्छता, जमीनी माहौल और अन्य सुविधाओं तक पहुंच। हाल के वर्षों में ‘सबका साथ, सबका विकास’ पर जोर देने वाली नीति ने इस बेहतर पहुंच का मार्ग प्रशस्त किया है।

ऐसे में आर्थिक समीक्षा 2020-21 भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों के लचीलेपन और आंतरिक शक्ति का प्रमाण है। यह आर्थिक समीक्षा आत्मविश्वास की गहरी भावना का प्रतीक है कि किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में भारतीय विजयी रहे हैं। 

(लेखि‍काएं आर्थिक कार्य विभाग में सलाहकार हैं। यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं। उस संगठन के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, जिससे ये जुड़ी हुई हैं।)