नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली हिंसा की जांच और नेताओं के हेट स्पीच को लेकर एफआईआर दर्ज करने के लिए दायर याचिकाओं पर 26 मार्च को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
पहले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा था कि इस मामले पर सुनवाई जरूरी है। कई नौजवानों को फंसाया जा रहा है। गोंजाल्वेस ने कहा था कि सुनवाई में जितनी देरी होगी पुलिस उतना ही प्रताड़ित करेगी। हम जामिया और उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा दोनों की जांच दिल्ली पुलिस से हटाकर दूसरी एजेंसी को देने की मांग कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान वकील तारा नरुला ने कहा था कि अंतिम चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और ट्रायल शुरू होने वाला है। हमें इस मामले पर दलीलें रखने की जरूरत है।
पहले की सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया था कि वीडियो फुटेज के संरक्षण के कोर्ट के पहले के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। पिछले 24 अगस्त सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया था कि कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि वीडियो फुटेज का संरक्षण किया जाए। लेकिन कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। यह एक चिंता की बात है क्योंकि वीडियो फुटेज इन मामलों का अहम हिस्सा हैं। जमीयत उलेमा ए हिन्द की ओर से कहा गया था कि दंगो में समुदाय विशेष के लोगों को टारगेट किया गया। समुदाय विशेष के पीड़ितों ने जब दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने वालों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज़ करानी चाही तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। हमारी इन शिकायतों पर पुलिस ने कोई जवाब नहीं दाखिल किया है। जमीयत ने कहा कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट का निष्कर्ष भी यही है कि दंगों में समुदाय विशेष को टारगेट किया गया। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग ने पांच सदस्यीय कमेटी से निष्पक्ष जांच कराए जाने की ज़रूरत जताई हैं। हम भी इससे सहमत है।
कोर्ट ने 12 मार्च, 2020 को दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस समेत उन नेताओं को नोटिस जारी किया था, जिनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। अलग-अलग याचिकाओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, वारिस पठान, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा नेता कपिल मिश्रा, और प्रवेश वर्मा के खिलाफ दाखिल की गई थी। याचिकाओं में इन नेताओं के खिलाफ जल्द एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिकाओं में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई स्थगित कर गलत किया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 फरवरी, 2020 को भड़काऊ भाषण मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टालते हुए 13 अप्रैल, 2020 को सुनवाई करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2020 को हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई जल्द कर फ़ैसला लें। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से 6 मार्च, 2020 को सुनवाई करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शांति बहाली के लिए हाईकोर्ट ज़रूरी कदम उठाए। दोनों पक्ष हाईकोर्ट को उन लोगों के नाम सुझाएं, जो मदद कर सकें।