नई दिल्ली। समलैंगिक शादी मामले में केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है। कोर्ट में समलैंगिक शादियों को हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत अनुमति देने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। इसे लेकर हलफनामा दायर किया गया है। हालांकि इस मामले पर हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।
हलफनामा में केंद्र सरकार ने भारत में समलैंगिक शादियों को मान्यता देने की याचिका का विरोध किया है। सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि यह विचार भारतीय लोकाचार और संस्कृति के साथ तालमेल नहीं खाता है। एलजीबीटी समुदाय से जुड़े लोगों ने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग की है। मामले की सुनाई हाईकोर्ट में जस्टिस राजीव सहाय एंडला की बेंच कर रही है।
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा था कि उनका क्लाइंट किसी भी प्रथागत या धार्मिक कानूनों के तहत राहत नही मांग रहे है, बल्कि सभी प्रकार के युगल पर लागू होने वाले एसएमए कानून को उनके मामले में भी लागू किए जाने या फिर इसे रद्द करने की मांग की है। याचिकाकर्ता युवतियों ने स्पेशल मैरिज एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की। उनकी दलील है कि यह कानून समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देता है।
इससे पहले 2 पुरुषों ने भी याचिका दायर कर कहा था कि उन्होंने 2017 में शादी की थी, लेकिन न्यूयार्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने समलैंगिक होने के आधार पर उनके विवाह रजिस्ट्रेशन के आवेदन को अस्वीकार कर दिया था। इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के बावजूद समलैंगिक लोगों के बीच विवाह संभव नहीं हो पा रहा है। याचिका में हिंदू विवाह एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए एक अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया गया है।