–अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत को बदनाम करने की साजिश
-बंगाल को जो मिला वो परिवर्तन नहीं, लेफ्ट का पुनर्जीवन है
कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2011 में ममता बनर्जी से बंगाल ने बहुत उम्मीद की थी। उस समय ममता दीदी ने बंगाल से परिवर्तन का वादा किया था। उनके इस वादे ने पूरे देश का ध्यान खींचा था, लोगों ने भरोसा भी किया। लेकिन उनसे बंगाल को केवल निर्ममता ही हाथ लगी। उन्हाेंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत को बदनाम करने की कोशिश हो रही है लेकिन इस पर सभी चुप हैं। प्रधानमंत्री मोदी रविवार को हल्दिया में जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
कोलकाता से हेलिकॉप्टर के माध्यम से हल्दिया पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने यहां कई योजनाओं की सौगात देने के बाद जनसभा में लोगों से कहा कि आज हम मां गंगा के एक छोर पर हैं। लेकिन जो मां गंगा का उद्गम स्थल है, वो राज्य उत्तराखंड इस समय एक आपदा का सामना कर रहा है। एक ग्लेशियर टूटने की वजह से वहां नदी का जल स्तर बढ़ गया है। नुकसान की खबरें धीरे-धीरे आ रही हैं। उन्होंने कहा, “मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, भारत सरकार के गृहमंत्री और एनडीआरएफ के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हूं। उत्तराखंड में ऐसे परिवार मुश्किल से मिलते हैं जिनका कोई न कोई सदस्य फौज में न हो। यानी वहां के लोगों का हौसला, किसी भी आपदा को मात दे सकता है। वहां के लोग के लिए मैं प्रार्थना कर रहा हूं, बंगाल प्रार्थना कर रहा है, देश प्रार्थना कर रहा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,”पिछली बार मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जन्म जयंती पर बंगाल आया था। आज हल्दिया सहित पश्चिम बंगाल के विकास से जुड़ी करीब 5,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास करने के लिए आपके बीच आया हूं। पश्चिम बंगाल का विकास और यहां आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण केंद्र सरकार की निरंतर प्राथमिकता रही है।” उन्होंने कहा कि कोलकाता में साढ़े 8 हज़ार करोड़ रुपये की लागत से मेट्रो प्रोजेक्ट पर तेज़ी से काम चल रहा है। इस बार के बजट में केंद्र सरकार ने इस अभियान को और विस्तार दिया है। इस साल के बजट में चाय बगानों से जुड़े लाखों साथियों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। इनके लिए 1,000 करोड़ रुपये के पैकेज की व्यवस्था की गई है। इस पैकेज का बहुत बड़ा लाभ पश्चिम बंगाल के चाय बगान से जुड़े साथियों विशेषतौर पर हमारी बहनों को मिलेगा। केंद्र सरकार इस साल भी हजारों करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल में नेशनल हाईवे बनाने में लगाने वाली है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “पश्चिम बंगाल को पंजाब से जोड़ने वाला पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बहुत जल्दी बनकर तैयार होने वाला है। इसके अलावा खड़गपुर से विजयवाड़ा के लिए नए फ्रेट कॉरिडोर की भी घोषणा की गई है। पश्चिम बंगाल में रेलवे पर भी पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी से ज्यादा खर्च किया जाएगा। बंगाल पहले से जितना आगे था, अगर बीते दशकों में उसकी वो गति और बढ़ी होती, तो आज बंगाल कहां से कहां पहुंच गया होता।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यहां जितने भी उद्योग हैं, जितना भी कारोबार है, जितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर है, वो बदलाव चाहते हैं, आधुनिकता चाहते हैं। लेकिन आप सोचिए, बीते 10 सालों में यहां की सरकार ने कितनी फैक्टरियों का शिलान्यास या उद्घाटन किया? उस बड़े स्टील प्लांट का क्या हुआ जो यहां की अराजक व्यवस्थाओं के कारण शुरू ही नहीं हो सका? उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण है यहां की राजनीति। आजादी के बाद जब पश्चिम बंगाल के विकास को नई दिशा देने की जरूरत थी तब यहां विकास वाली राजनीति नहीं हो पाई। पहले कांग्रेस ने शासन किया तो भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा। फिर लेफ्ट का शासन लंबे समय तक रहा, उन्होंने भ्रष्टाचार, अत्याचार बढ़ाने के साथ ही विकास पर ही ब्रेक लगा दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “2011 में पूरे देश की नजरें बंगाल पर थीं। लेफ्ट की हिंसा और भ्रष्टाचार का जर्जर किला ढहने की कगार पर था। उस समय ममता दीदी ने बंगाल से परिवर्तन का वादा किया। उनके इस वादे ने पूरे देश का ध्यान खींचा, लोगों ने भरोसा किया। बंगाल को आस थी ममता की, लेकिन उसे निर्ममता मिली। ममता सरकार के पहले साल में ही ये साफ हो गया कि बंगाल को जो मिला है वो परिवर्तन नहीं, लेफ्ट का पुनर्जीवन है। वो भी सूद समेत। लेफ्ट का पुनर्जीवन यानी। भ्रष्टाचार का पुनर्जीवन। अपराध और अपराधियों का पुनर्जीवन। हिंसा का पुनर्जीवन। लोकतन्त्र पर हमलों का पुनर्जीवन। इससे पश्चिम बंगाल में गरीबी का दायरा और बढ़ता गया। मोदी ने कहा, “बंगाल में आप दीदी से अपने अधिकार की बात पूछ देंगे तो वो नाराज हो जाती हैं। यहां तक कि भारत माता की जय के नारे लगा दो, तो भी वो नाराज हो जाती हैं। लेकिन देश के खिलाफ बोलने वाले कितना भी जहर उगल दें, दीदी को गुस्सा नहीं आता। अभी आपने न्यूज़ में देखा होगा कि इन दिनों भारत को बदनाम करने के लिए कैसे कैसे अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र सामने आ रहे हैं, कैसी कैसी अंतरराष्ट्रीय साज़िशें हो रही हैं। साजिश करने वालों की बेचैनी इतनी ज्यादा है कि भारत को बदनाम करने के लिए वो चाय से जुड़ी भारत की पहचान पर हमला करने की बात कह रहे हैं। योग जैसी भारत की विरासत, जिसे महर्षि अरबिंदो और विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने निःस्वार्थ भाव से दुनिया तक पहुंचाया, उस योग पर हमला किया जा रहा है। टी वर्कर्स की कड़ी मेहनत पर हमला करने का षड्यंत्र किया जा रहा है।” संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन का भी आह्वान किया और आश्वासन दिया कि भाजपा बंगाल के विकास के लिए जी तोड़ कोशिश करेगी।