रांची। सीमेंट और स्टील की मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण रियल एस्टेट सेक्टर से जुडे बिल्डर-संवेदकों के समक्ष उत्पन्न कठिनाईयों उत्पन्न हो गई है। इसपर नियंत्रण के लिए झारखंड चैंबर और बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने रेगुलेटरी ऑथोरिटी का गठन करने की मांग की।
बिल्डर्स एसोसिएशन के झारखंड अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने कहा कि देशव्यापी इस समस्या पर बिल्डर्स एसोसिएशन द्वारा पूरे देश में शुक्रवार को सभी निर्माण कार्य बंद थे। पूरे शहर में इसके विरोध में बैनर/पोस्टर भी लगाये गये। सीमेंट और स्टील की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए वर्तमान में कोई रेगुलेशन नहीं होने के कारण इसकी कीमतों में मनमाने ढंग से वृद्धि की जा रही है। कीमतों में वृद्धि के कारण प्रोजेक्ट पूर्ण होने में विलंब हो रहे हैं। यह देखें तो पिछले एक माह में स्टील की कीमत 42 रुपये से 87 रुपये टन और सीमेंट 275 से 450 रुपये प्रति बैग हो गये हैं। भारत सरकार रेरा की तर्ज पर देश में सीमेंट रेगुलेटरी ऑथोरिटी का गठन करें।
चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर का देश के जीडीपी ग्रोथ में बडा योगदान देता है। कृषि के बाद निर्माण क्षेत्र ही देश में अधिकाधिक रोजगार का सृजन करता है। हालांकि कुछ माह से यह सेक्टर सीमेंट व स्टील की कीमतें अनियंत्रित होने से समस्याओं से जूझ रहा है। भारत सरकार ने इस सेक्टर को बूस्ट करने के लिए बजट में प्रशंसनीय बजटीय प्रावधान किये हैं, किंतु एक कार्टल के माध्यम से कुछ सीमेंट और स्टील कंपनियों द्वारा सीमेंट व स्टील की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि करके इस उद्योग को प्रभावित किया जा रहा है। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि सीमेंट व स्टील की कीमतों में वृद्धि के कारणों की जांच करें। शीघ्र ही देश में सीमेंट रेगुलेटरी ऑथोरिटी का गठन किया जाय। उन्होंने इस मामले में भारत सरकार से पत्राचार करने की भी बात कही।
बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंद्रकांत रायपत ने कहा कि स्टील और सीमेंट कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की बैकबोन है। सीमेंट व स्टील का उपयोग हाउसिंग में 55-65 फीसदी, इंफ्रास्ट्रक्चर में 15-25 फीसदी, कॉमर्शियल व इंडस्ट्रीयल कंस्ट्रक्शन में 10-15 फीसदी और इंडस्ट्री में 5 से 15 फीसदी तक होता है। देश में केवल 5-6 कंपनियां मिलकर स्टील व सीमेंट की दरें तय करती हैं, जिस कारण कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है। इन कंपनियों की अव्यवहारिक मनमानी को देखते हुए ही वर्ष 2012 में भारत सरकार द्वारा गठित भारतीय प्रतिस्पर्धात्मक आयोग ने इन कंपनियों पर 6500 हजार करोड का जुर्माना लगाया था।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष किशोर मंत्री, महासचिव राहुल मारू, बिल्डर्स एसोसियेशन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष रोहित अग्रवाल, उपाध्यक्ष चंद्रकांत रायपत, सदस्य रवीद्र प्रधान, पीके मुखर्जी, नवीन मोदी, रणविजय प्रधान, अमित शर्मा समेत अन्य उपस्थित थे।