- गांव के लोग बन रहे हैं आत्मनिर्भर
रांची। झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी ब्लॉक का एक गांव है कोवलु। यह गांव आत्मनिर्भर बन रहा है। लंबे समय तक इस गांव के लोग आजीविका के लिए पलायन करने के लिए मजबूर थे। दिहाड़ी मजदूर के रूप में पास के चिमनी या क्रशर पर काम करने जाते थे।
राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं की मदद से इसे ‘मॉडल गांव’ बनाने की पहल की। अब इस प्रयास का परिणाम दिखने लगा है। कई लोग मनरेगा से जुड़े हुए हैं। ग्रामीणों को अपने ही गांव में काम मिल रहा है। परिवार की महिला सदस्य भी महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कमाई करने लगी है।
महिला साबुन उत्पादन कर रही
जेएसएलपीएस की मदद से महिलाएं सब्जी और साबुन का उत्पादन कर रही हैं। पुरुष सदस्य जल, भूमि और पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। झारखंड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी गांव की महिला सदस्यों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है। इस गांव में महिलाओं को दीदी बाड़ी योजना के तहत पोषक तत्वों से भरपूर भोजन और ब्रांड ‘पलाश’ के तहत साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मशरूम उत्पादन कर बेच रही
जेएसएलपीएस के को-ऑर्डिनेटर मोबिन खान कहते हैं कि हम उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए हमने उन्हें ड्रिप सिंचाई योजना से जोड़ा। अब वे एक वर्ष में दो से तीन फसलों का उत्पादन करने में सक्षम हैं। दीदी बाड़ी योजना के तहत सभी के लिए पोषक भोजन सुनिश्चित किया जा रहा है। बची हुई हरी सब्जियां बाजार में बेची जाती हैं। स्वयं सहायता समूह के सदस्य मशरूम का भी उत्पादन और बिक्री कर रहे हैं।
जल्द साबुन संयंत्र स्थापित होगा
जल्द ही गांव में एक साबुन बनाने का संयंत्र स्थापित किया जाएगा। एसएचजी के सदस्यों को साबुन निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह बाजार में ‘पलाश’ ब्रांड के तहत बेचा जाएगा। जो सरकार द्वारा शुरू किया गया एक ब्रांड है। इससे वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।
विभिन्न योजनाओं से समृद्ध
कोवलु गांव टीसीबी (ट्रेंच कम बंड), वर्षा जल संचयन संयंत्र, जल कुंड और गांव में जल स्तर बनाए रखने के लिए विभिन्न योजनाओं से समृद्ध है। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत सैकड़ों आम के पौधे लगाए गए हैं। ग्राम रोजगार सेवक चित्तरंजन महतो कहते हैं कि मनरेगा की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गांव भर में कई वर्षा जल संचयन परियोजनाएं बनाई गई हैं। अपशिष्ट जल के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए कई टीसीबी, सोक पिट भी बनाए गए हैं। गांव भर में सैकड़ों आम के पौधे लगाए गए हैं। भविष्य में आम की खेती ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाएगी। ढलान वाली भूमि क्षेत्र होने के कारण यह मिट्टी के कटाव को भी नियंत्रित करेगा।
परिवार के साथ खुश
ग्रामीण शीला कहती है कि कोरोना काल के दौरान हम मनरेगा के कारण कमाई के लिए अपने गांव से बाहर कभी नहीं गए। अब हम अपने परिवार की देखभाल कर रहे हैं। कमाई भी कर रहे हैं। हम सब खुश हैं। मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि हमारे अपने गांव में हमें काम मुहैया कराए।
पारदर्शिता की दीवार
रांची उपायुक्त छवि रंजन का कहना है कि सरकार राज्य से प्रवास पर अंकुश लगाने और अपने घर पर लोगों के लिए कमाई सुनिश्चित करने के लिए एक कार्य योजना पर काम कर रही है। कोवलु गांव आत्मनिर्भरता का एक बड़ा उदाहरण है। इस गांव के लोगों ने अपने जीवन में एक बदलाव देखा है। प्रत्येक संभावित लाभार्थी को कवर करने और विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के द्वारा यह गांव जिले के सबसे प्रगतिशील गांवों में से एक है।
उपायुक्त ने कहा कि योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता की एक दीवार बनाई गई है। पारदर्शिता की दीवार पर कोई भी योजनाओं से संबंधित सभी विवरण पा सकता है। इसके अलावा योजना के क्रियान्वयन में किए गए एक पूर्ण अनुमान लागत विवरण को भी दीवार पर चित्रित किया गया है।