नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। कोरोना के चलते साल-2020 में ज्यादातर संस्थानों में वर्क फ्रॉम होम (डब्लूएफएच) आम बात हो गई है। अभी भी देश और दुनिया में बड़ी संख्या में लोग घर से ही काम कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद भी कंपनियों ने इस सिलसिले को जारी रखा है। एक तरफ जहां इससे कर्मचारियों की सेहत और सुरक्षा का ध्यान रखने में कंपनियों को राहत मिली है तो वहीं काफी हद तक उनके खर्चों में कटौती हुई है।
वर्क फ्रॉम होम से कर्मचारियों के लिए बेशक सुविधा बढ़ी है लेकिन दूसरी तरफ उनके खर्चों में भी बढ़ोतरी हुई है, जिनमें वाई-फाई, पावर बैकअप, होम-ऑफिस बनाने के लिए फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, एसी आदि शामिल हैं। हालांकि, कुछ संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को इन जरूरतों को पूरा करने के लिए अलाउंस, रीइंबर्समेंट के साथ-साथ जरूरी उपकरण भी मुहैया कराएं हैं लेकिन ज्यादातर को ये सब खर्च खुद ही वहन करना पड़ रहा है।
इस बात की पूरी संभावना है कि जब तक कोरोना महामारी पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती है तब तक वर्क फ्रॉम होम जारी का ये सिलसिला जारी रहेगा। कुछ मामलों में यह महामारी के बाद भी बना रह सकता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उम्मीद है कि इस बार के बजट में सरकार एक निर्धारित सीमा तक डिडक्शन देने के बारे में सोच सकती है। यह छूट अतिरिक्त खर्च के आधार पर घर से काम करने वाले सभी कर्मचारियों को दी जा सकती है। केंद्रीय बजट पेश होने की तारीख नजदीक आ रही है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के दौरान किए गए खर्च को पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से अतिरिक्त छूट दी जाए।