पंचायत प्रतिनिधियों को नव वर्ष का तोहफा, पुर्नबहाल की गई शक्तियां

झारखंड मुख्य समाचार
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रांची। कोरोना महामारी के कारण ससमय त्रिस्‍तरीय पंचायत निर्वाचन संपन्‍न नहीं होने के कारण झारखंड के त्रिस्‍तरीय पंचायती राज संस्‍थाएं कार्यकाल पूरा होने के बाद 7 जनवरी को ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर द्वारा राज्‍य के चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों को नव वर्ष में विशेष तोहफा दि‍या गया।

विभाग द्वारा अगले छह माह तक या चुनाव होने तक के लिए त्रिस्‍तरीय पंचायती राज संस्‍थाएं उनकी समस्त शक्तियां पंचायती राज अधिनियम की एक्‍ट के तहत समिति का गठन करते हुए पुर्नबहाल कर दी गई है। मंत्री ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ विचार-विमर्श के बाद समस्त शक्तियां प्रशासकीय समिति गठित कर बहाल कर दी गई।

झारखंड में पंचायत चुनाव पर्ष 2015 में संपन्न हुए थे। पांच वर्ष की अवधि पूर्ण कर लेने के बाद ये त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं विघटित हो गई है। कोरोना महामारी के कारण ससमय पंचायत निर्वाचन संपन्न नहीं हो सका है। ऐसे में झारखंड पंचायत राज अधिनियम के तहत उनके कार्य संचालन की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि कार्यकारी समिति का गठन संबंधित जिले के उपायुक्त इस तरह से किया जाएगा।

ग्राम पंचायत

सामान्य क्षेत्र में ग्राम पंचायत के विघटन के बाद ग्राम पंचायत के कार्यों के संचालन के लिए कार्यकारी समिति गठित की जाएगी।

अध्यक्ष-विघटित पंचायत के मुखिया

सदस्य-विघटित पंचायत के सभी निर्वाचित वार्ड सदस्य

सदस्य- प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी

सदस्य- प्रखंड समन्वयक (झारखंड पंचायत राज स्वशासन परिषद)

सदस्य- अंचल निरीक्षक

सदस्य- प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा नामित ग्राम पंचायत क्षेत्र का निवासी और राज्य/ केंद्र/ सेना/रेल/ सार्वजनिक उपकम से (वर्ग-III से अन्यून श्रेणी) सेवानिवृत्त कोई एक व्यक्ति।

अनुसूचित क्षेत्रों में

ग्राम पंचायत के विघटन के बाद ग्राम पंचायत के कार्यों के संचालन के लिए निम्नवत कार्यकारी समिति गठित की जाएगी

अध्यक्ष-विघटित पंचायत के मुखिया

सदस्य- विघटित पंचायत के सभी निर्वाचित वार्ड सदस्य

सदस्य-प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी

सदस्य- प्रखंड समन्वयक (झारखंड पंचायत राज स्वशासन परिषद)

सदस्य-अंचल निरीक्षक

सदस्य- ग्राम पंचायत के अंतर्गत सभी पारंपरिक प्रधान चाहे उन्हें जिस नाम से जाना जाता हो।

कार्यकारी समिति अध्यक्ष का पदनाम मुखिया के स्थान पर ‘प्रधान, कार्यकारी समिति ग्राम पंचायत’ रहेगा। प्रधान, कार्यकारी समिति वे सभी कार्य निष्पादित करेगा, जो एक निर्वाचित मुखिया द्वारा किया जा सकता है।

प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, अंचल निरीक्षक एवं प्रखंड समन्वयक (झारखंड पंचायत राज स्वशासन परिषद) पंचायत की कार्यकारी समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे। ये ग्राम पंचायत के लिए गठित कार्यकारी समिति की बैठक में उपस्थित रहेंगे। हालांकि इन्हें मतदान का अधिकार नहीं रहेगा। पंचायत के वित्तीय संव्‍यवहार या योजना क्रियान्वयन में किसी प्रकार की अनियमितता को रोकना और जिला पंचायत राज पदाधिकारी एवं विभाग के संज्ञान में लाना इनकी जवाबदेही होगी।

पंचायत समिति

पंचायत समिति के विघटन के बाद पंचायत समिति के कार्यों के संचालन के लिए निम्नवत कार्यकारी समिति गठित की जाएगी।

अध्‍यक्ष-विघटित पंचायत समिति के प्रमुख

सदस्य- विघटित पंचायत समिति के विघटन की तिथि को झारखंड पंचायत राज अधिनियम की धारा 33 के अनुसार सदस्य रहे व्यक्ति

सदस्य-जिला पंचायत राज पदाधिकारी

सदस्य-संबंधित प्रखंड क्षेत्र के अनुमंडल पदाधिकारी

सदस्य-संबंधित प्रखंड क्षेत्र के अंचल पदाधिकारी

कार्यकारी समिति अध्‍यक्ष का पदनाम प्रमुख के स्‍थान पर ‘प्रधान कार्यकारी समिति पंचायत समिति’ रहेगा। प्रधान कार्यकारी समिति, पंचायत समिति के सभी कार्य निष्पादित करेगा, जो एक निर्वाचित प्रमुख द्वारा किया जा सकता है।

जिला पंचायत राज पदाधिकारी, संबंधित प्रखंड क्षेत्र के अनुमंडल पदाधिकारी एवं संबंधित

जिला पंचायत राज पदाधिकारी, संबंधित प्रखंड क्षेत्र के अनुमंडल पदाधिकारी एवं संबंधित प्रखंड क्षेत्र के अंचल पदाधिकारी कार्यकारी समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे। ये पंचायत समिति के लिए गठित कार्यकारी समिति की बैठक में उपस्थित रहेंगे, परंतु इन्हें मतदान का अधिकार नहीं रहेगा। पंचायत समिति के वित्तीय संव्‍यवहार या योजना क्र‍ियान्वयन में किसी प्रकार की अनियमितता को रोकना और उपायुक्त एवं विभाग के संज्ञान में लाना इनकी जवाबदेही होगी।

जिला परिषद

जिला परिषद के विघटन के बाद जिला परिषद के कार्यों के संचालन लिए ये कार्यकारी समिति गठित की जाएगी।

अध्‍यक्ष-विघटित जिला परिषद के अध्यक्ष

सदस्य- विघटित जिला परिषद विघटन की तिथि को झारखंड राजय पंचायत राज अधिनियम की धारा 49 के अनुसार सदस्य रहे व्‍यक्ति

सदस्य-कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद

सदस्य-निदेशक, ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए)

सदस्य- परियोजना निदेशक आईटीडीए एवं उनके अभाव में जिला कल्‍याण पदाधिकारी

कार्यकारी समिति अध्‍यक्ष या पदनाम प्रमुख के स्थान पर ‘प्रधान, कार्यकारी समिति जिला परिषद’ रहेगा। प्रधान, कार्यकारी समिति, जिला परिषद वे सभी कार्य निष्‍पादि‍त करेगा, जो एक निर्वाचित अध्‍यक्ष, जिला परिषद द्वारा किया जा सकता है।

कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद, निदेशक प्रामीण विकास अभिकरण एवं परियोजना निदेशक, आईटीडीए एवं उनके अभाव में जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यकारी समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे। वे जिला परिषद के लिए गठित कार्यकारी समिति की बैठक में उपस्थित रहेंगे, परंतु इन्हें मतदान का अधिकार नहीं रहेगा। जिला परिषद के वितीय संव्यवहार या योजना क्रियान्वयन में किसी प्रकार की अनियमितता को रोकना और उपायुक्त और विभाग के संज्ञान में लाना इनकी जवाबदेही होगी।

ग्राम सभा

झारखंड पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप ग्राम सभा का आयोजन चाहे जिस उद्देश्य से हो, किया जा सकेगा। ग्राम सभा की अध्यक्षता अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप पारंपरिक प्रधान अथवा ग्राम पंचायत के लिए बनी कार्यकारी समिति के प्रधान द्वारा किया जा सकेगा।

पंचायत सचिव, प्रखंड विकास पराधिकारी या उप विकास आयुक्‍त-सह-मुख्‍य कार्यपालक पदाधिकारी पूर्ववत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।

तीनों स्‍तरों के लिए गठित कार्यकारी समिति के गैर सरकारी सदस्यों (निर्वाचित और नामित) को बैठक में भाग लेने के लिए यात्रा भत्ता नियमानुसार दि‍या जा सकेगा, जो उन्‍हें मुखिया, प्रमुख या जिला परिषद के अध्‍यक्ष के कर्तव्‍य निर्वहन के लिए अनिवार्य हो। पद के साथ अंतर्विष्‍ट अन्‍य शक्तियां और सुविधाएं अनुमान नहीं होगा। उन्‍हें झारखंड पंचायत राज अधिनियम द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को प्रदत्‍त संरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। समिति के अन्‍य सदस्‍यों की तुलना में प्रत्‍येक स्‍तर के प्रधान, कार्यकारी समिति की स्थिति ‘समान में प्रथम’ के जैसी होगी।

प्रधान, कार्यकारी समिति, समिति के गठन की तिथि से अपना कार्यभार ग्रहण किए हुए समझे जाएंगे। कोई भी कार्यकारी समिति अपने गठन की तिथि से अधिकतम छह माह या चुनाव तक, जो भी पहले हो तक कार्य करेगी। ग्रामीण विकास विभाग (पंचायती राज) समय-समय पर आवश्यक दिशा निर्देश निर्गत कर सकेगा।