प्रशांत अंबष्ठ
बोकारो। यकीन करें। ये झारखंड की ही वादियां हैं। इसका दीदार करने के लिए आपको बोकारो जिले का गोमिया प्रखंड आना होगा। इसे लोग झुमरा पहाड़ के नाम से जानते हैं। कभी यहां नक्सलियों की धमक थी। अब सीआरपीएफ की सक्रियता से यह नक्सल कॉरिडोर अब पर्यटन क्षेत्र बनता जा रहा है। झुमरा पहाड़ की हसीन वादियां पर्यटकों को आकर्षित रही हैं।
अब सरपट दौड़ते हैं वाहन
झुमरा पहाड़ पर पहले पैदल चढ़ना या चलना काफी कठिन था। झुमरा एक्शन प्लान के तहत अब सड़क बन जाने से दोपहिया और चारपहिया वाहन सरपट दौड़ते हैं। इस पहाड़ की तलहटी के हरे-भरे जंगल सैलानियों को आकर्षित कर रहे हैं। लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं। कभी यह पहाड़ नक्सलियों का गढ़ कहलाता था, लेकिन सीआरपीएफ की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण पर्यटकों का आगमन पिछले कई वर्षों से शुरू हो गया है। यहां की खूबसूरत वादियों को निहारकर पर्यटक अभिभूत हो जाते हैं। इस पहाड़ पर कई रहस्यमयी गुफा के साथ ही घने जंगल भी हैं। बगल से चुटवा व बगलता नदी बहती है। कई झरना भी हैं, जिसका पानी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद है। कई नायाब वृक्ष व पेड़-पौधे हैं, जो सैलानियों की नजर को अपनी ओर खींचते हैं।
पर्यटकों के लिए यह मनपसंद स्थल
वर्ष 2005 में रहावन एवं झुमरा पहाड़ में सीआरपीएफ की 26वीं बटालियन का कैंप स्थापित होने के बाद से इस क्षेत्र में माओवादियों का वर्चस्व कम हुआ। उसके बाद से सैलानियों का आना-जाना यहां शुरू हो गया। वहीं सरकार की ओर से सड़कों का जाल झुमरा एवं उसके निकटवर्ती गांवों में बिछाए जाने के बाद से पर्यटकों के लिए यह इलाका मनपसंद स्थल बन गया है।
पिकनिक करने आते थे विदेशी पर्यटक
देश में जब अंग्रेजों का दौर था, तब झुमरा पहाड़ पर विदेशी पर्यटक भी नववर्ष में पिकनिक करने आते थे। अंग्रेजों के जाने के बाद भी यह पहाड़ काफी दिनों तक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। वहीं 90 के दशक से लेकर वर्ष 2004 तक झुमरा पहाड़ पर माओवादी नक्सलियों की चहलकदमी के कारण सैलानियों का आना बंद हो गया था।
ललपनिया व रामगढ़ होकर आ सकते
झुमरा पहाड़ बोकारो जिला के ललपनिया व रामगढ़ जिला से होकर भी लोग आ सकते हैं। रामगढ़ जिला मुख्यालय से यह पहाड़ लगभग 40 किलोमीटर दूर है। केदला के रास्ते हुरदाग व पचमो जाकर चंद मिनटों में झुमरा का सफर तय किया जा सकता है। वहीं बोकारो जिला के लोग दोपहिया वाहन या चारपहिया वाहन से गोमिया प्रखंड के चतरोचट्टी और रहावन ओपी के रास्ते भी यहां आ-जा सकते हैं।