
अनुराग सक्सेना
देश में लगातार बढ़ रहे पत्रकारों पर हमले और हत्याओं की रोकथाम के लिए अब मीडिया आयोग का गठन होना अत्यंत आवश्यक हो गया है। मीडिया आयोग के गठन के बाद ही इसकी रोकथाम संभव है।
पत्रकारों के तमाम संगठन लंबे समय से देश में पत्रकार सुरक्षा कानून और मीडिया आयोग के गठन की मांग कर रहे है। सरकार इसे लगातार नजर अंदाज कर रही है। खबर लिखने को लेकर लगातार पत्रकारो पर हमले हो रहे हैं। ताजा मामला यूपी के कानपुर जिले के पत्रकार आंसू यादव का है, जिनकी लाश एक कार में पाई गयी। परिजनों का आरोप है किसी समाचार को लेकर उन्हे जान से मारने की धमकी मिली थी। इसके बाद वह 31 दिसंबर की रात से गायब थे। 2 जनवरी को उनकी लाश एक कार में मिली।
पत्रकार निष्पक्ष और बेबाक होकर अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर सके, इसके लिए जरूरी है कि अब देश मे मीडिया आयोग का गठन हो। पत्रकार आयोग के सामने अपनी परेशानी को रख सके। कई मामलों मे देखा गया है कि पत्रकारों को मिल रही धमकियों की शिकायत जब पुलिस से की जाती है तो वे इसे गंभीरता से नहीं लेती। नतीजे में या तो दबंगों द्वारा पत्रकार पर हमला होता है या उसकी हत्या कर दी जाती है।
मीडिया आयोग के गठन से इस पर लगाम लगाई जा सकती है। दूसरी समस्या पत्रकारों के सामने यह आती है, जब वह किसी की शिकायत पुलिस से करता है। उस समय दबंगों द्वारा पत्रकार पर ही मुकदमा पंजीकृत कर दिया जाता है। उल्टा उसे ही परेशान किया जाता है। मीडिया आयोग के गठन के बाद पत्रकार अपनी समस्या को आयोग के पास रखेगा। पुलिस पत्रकार पर लगाये गये आरोपों की जांच करेगी। दोषी पाये जाने पर ही कार्रवाई करेगी। मीडिया आयोग के गठन से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूती मिलेगी। पत्रकार निडरता से अपने काम को अंजाम दे सकेंगे।

(लेखक जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।)