खादी का ड्रेस पहनेंगे एकलव्‍य विद्यालय के विद्यार्थी, बढ़ेगा रोजगार, हस्‍तशिल्‍प को मिलेगी मजबूती

देश नई दिल्ली
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  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय और एमएसएमइ मंत्रालय के बीच हुए दो एमओयू

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने की दिशा में जनजातीय मामलों के मंत्रालय और एमएसएमइ मंत्रालय के बीच 19 जनवरी को दो एमओयू हुए। इस अवसर पर सड़क परिवहन और एमएसएमइ मंत्री नितिन गडकरी, एमएसएमइ राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी, जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एवं राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता उपस्थित थे।

पहले एमओयू के मुताबिक देशभर में एकलव्य विद्यालयों में बच्चों को खादी के ड्रेस उपलब्ध कराये जायेंगे। पहला एमओयू जनजातीय छात्रों के लिए खादी का कपड़ा खरीदने के बारे में और दूसरा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के लिए एक कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में केवीआईसी के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय की भागीदारी के संबंध में है। इसके तहत पूरे देश में खादी कारीगरों और जनजातीय आबादी के एक बड़े भाग को मजबूत करते हुए स्थानीय रोजगारों का सृजन करना है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय वर्ष 2020-21 में 14.77 करोड़ रुपये मूल्य के 6 लाख मीटर से अधिक खादी का कपड़ा खरीदेगा। यह कपड़ा एकलव्य आवासीय विद्यालयों के छात्रों के यूनिफॉर्म इत्यादि के लिए खरीदा जायेगा। जैसे-जैसे हर साल एकलव्य विद्यालयों की संख्या में बढ़ोतरी होगी, उसी अनुपात में खादी के कपड़े की खरीदारी भी बढ़ेगी। बतातें चलें कि एकलव्य के बच्चों के यूनिफॉर्म की डिजाइन निफ्ट, दिल्ली ने तैयार की है। इससे ना सिर्फ देश में खादी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हस्तशिल्प को भी मजबूती मिलेगी।

दूसरे समझौता ज्ञापन के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम (एनएसटीएफडीसी) को पीएमईजीपी योजना लागू करने के लिए एक भागीदार के रूप में तैयार किया जाएगा। यह निगम जनजातीय कार्य मंत्रालय की एक एजेंसी है, जो देश में जनजातीय लोगों के आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार है। निगम अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में इच्‍छुक अनुसूचित जनजातियों के लोगों के उद्यमशीलता उपक्रमों के वित्तपोषण के लिए रियायती ऋण योजनाएं उपलब्‍ध कराता है। इस समझौता ज्ञापन से जनजातीय लोगों को विभिन्न उत्पादन गतिविधियों में शामिल करते हुए स्वरोजगार के अवसरों का सृजन करके लाभान्वित किया जा सकेगा। एनएसटीएफडीसी और केवीआईसी के इस सहयोग से पीएमईजीपी योजना में जनजातीय लोगों की संख्‍या में बढ़ोतरी होगी।

इस अवसर पर श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अनुसूचित जनजाति के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस)  के माध्यम से जनजातीय शिक्षा के विकास पर काफी जोर दिया है। इन स्कूलों में छात्रों के लिए अब तक कोई यूनिफॉर्म डिजाइन नहीं था। नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) ने इस ड्रेस को एक अलग लोगो और कलर स्कीम के साथ डिजाइन किया है। ड्रेस मटेरियल के लिए खादी के कपड़े को चुना गया है, जिसे केवीआईसी से मंगाया जाएगा। बाद के वर्षों में 60 लाख मीटर खादी फैब्रिक की वर्तमान आवश्यकता में वृद्धि होगी, क्योंकि स्कूलों में नामांकन बढ़ जाएगा।

श्री मुंडा ने कहा कि दोनों एमओयू दोनों मंत्रालयों के बीच साझेदारी में एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह वोकल फॉर लोकल और रोजगार को बढ़ावा देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गांधी जी और आत्मनिर्भर भारत द्वारा दिए गए स्वदेश और ‘स्वराज’ के संदेश पर फिर से जोर देने के लिए यह एक लंबा रास्ता तय करेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने आदिवासियों के कल्याण पर खर्च करने के लिए एसटीसी के रूप में विभिन्न मंत्रालयों को 45,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने एक निगरानी प्रकोष्ठ का गठन किया है, जो डेटा प्रबंधन के माध्यम से इस एसटीसी का लेखा-जोखा रखता है।

इस अवसर पर नितिन गडकरी ने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे एकलव्य आवासीय विद्यालयों में छात्रों के लिए 2020-21 में 14.77 करोड़ रुपये के 6 लाख मीटर से अधिक खादी के कपड़े की खरीद की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर साल एकलव्य स्कूलों की संख्या बढ़ने के साथ खादी फैब्रिक की खरीद की मात्रा भी आनुपातिक रूप से बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि जो बच्चे इस देश का भविष्य हैं, वे हमेशा से भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं और प्रोग्रामेटिक ध्यान का केंद्र रहे हैं। ‘शिक्षा, खेल, कौशल विकास, पोषण या सर्वांगीण विकास की योजनाएं’ सबका साथ सबका विकास’ की अवधारणा को लेते हुए भारत सरकार ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। उन्‍होंने कहा कि महात्मा गांधी के आदिवासी गांवों तक जाने का इससे बढ़कर कोई बेहतर तरीका नहीं हो सकता।