सुनील कमल
हजारीबाग। विनोबा भावे विश्वविद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारियों को 22 वर्षों से प्रोन्नाति नहीं मिली है। कई का पांचवे और छठे वेतनमान का निर्धारण भी नहीं हुआ है। उन्हों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से शीघ्रता शीघ्र प्रोन्नति देने की मांग की है। साथ ही, वेतनमान का निर्धारण कराने जाने की बात भी कही है।
कर्मचारियों ने कहा कि विश्वकविद्यालय प्रशासन उनकी उपेक्षा कर रहा है। 22 वर्षों की सेवा के बावजूद अभी तक उन्हें कोई भी प्रोन्नति नहीं मिली है। कई कर्मी ऐसे हैं, जिनका अब तक पांचवा और छठा वेतन निर्धारण भी नहीं हो सका है। कर्मियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया कि जल्द से जल्द मंत्रालय से उनका वेतन निर्धारण कराया जाये।
कर्मियों ने कहा कि विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव की नियुक्ति में झारखंड लोक सेवा आयोग उनके हक एवं अधिकारों का हनन कर रहा है। विज्ञापन (संख्या : 03/2020) में आयोग ने किसी भी नन टीचिंग को प्रक्रिया में शामिल ही नहीं किया है। मेधा के आधार पर उन्हें इंटरव्यू में नहीं बुलाया है। ऐसा कर आयोग ने झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम 2000 का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया है।
कर्मचारियों ने कहा कि आयोग के कारनामे की सूचना झारखंड सरकार एवं राज्यपाल सचिवालय को जा चुकी है। हालांकि अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। इससे वे निराश हैं।