रांची। आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर बायोटेक्नोलॉजी (आईसीएआर-आईआईएबी), गढ़खटंगा और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची ने पहली बार डिजिटल मंच पर ‘पशुपालन में उद्यमिता विकास’ विषय पर संयुक्त रूप से बुधवार को किसान मेला का आयोजन किया। कोविड -19 महामारी को देखते हुए वर्चुअल माध्यम से मेले के आयोजन की आवश्यकता महसूस हुई। मेला में 400 से अधिक किसानों और उद्यमियों ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया।
मौके पर मुख्य अतिथि बीएयू कुलपति डॉ ओएन सिंह ने राज्य में पशुधन क्षेत्र की अपार संभावना को इंगित किया। उन्होंने कहा कि विषम जलवायु एवं वैश्विक तापक्रम की वजह से प्रदेश के किसानों की आजीविका की सुरक्षा और आय में बढ़ोतरी महत्वपूर्ण हो गयी है। इसके समाधान के लिए सब्जी फसलों की खेती के साथ पशु एवं कुक्कुट पालन पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। प्रदेश की 80 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत जोतदार है। इनके आजीविका एवं पोषण सुरक्षा तथा आय में बढ़ोतरी का पशु एवं कुक्कुट पालन सर्वाधिक महत्वपूर्ण विकल्प साबित होगा।
कुलपति ने कहा कि कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के विशेष निर्देश पर प्रदेश में पशु एवं कुक्कुट पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार द्वारा इस क्षेत्र में अनेकों नए प्रयास किये जा रहे है। इससे राज्य में पशु एवं कुक्कुट पालन को सही दिशा और गति देने को बल मिलेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक, आईआईएबी डॉ।अरुणव पटनायक ने झारखंड में छोटे पशुधन और कुक्कुटों के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम के मेले में किसानों की उत्साही भागीदारी की घटना मेले की सफलता का संकेत है। इस मेले में झारखंड के किसानों ने आधुनिक संचार तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया है। आने वाले समय में आईसीएआर और बीएयू द्वारा उन्नत कृषि-प्रौद्योगिकियों के प्रसार के साथ बढ़ाया जाएगा।
मौके पर आईआईएबी संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ तिलक राज शर्मा ने बाजार लिंकेज के साथ पशुधन के लिए चारा और चारे की खाई को दूर करने के लिए तत्काल आवश्यकता पर ध्यान दिलाया।
डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने सरकार द्वारा पदोन्नत पशुपालन की विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। कोरोना प्रकोप के बाद गृह राज्य में प्रवासी श्रम की वापसी के मद्देनजर रोजगार सृजन और आजीविका सुरक्षा के मुद्दों को संबोधित करते हुए पशुपालन को झारखंड राज्य के लिए प्रासंगिक बताया।
इस अवसर पर वेटनरी वैज्ञानिक डॉ रवींद्र कुमार द्वारा पशुपालन में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय योजनाओं पर चर्चा की गयी। उन्होंने झारखंड के छोटे जोत धारक किसानों के लिए पशुपालन में उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। पशुपालन की उपयोगी राज्य एवं केंद्रीय योजनाओं की जानकारी दी।
मौके पर किसान-उद्यमी-वैज्ञानिक इंटरफेस के लिए किसानगोष्ठी का संचालन आईआईएबी वरीय वैज्ञानिक डॉ सौमेन नस्कर द्वारा किया गया, जिसमें प्रतिभागियों की बहुत उत्साहजनक भागीदारी देखी गई। यह कार्यक्रम चार घंटे से अधिक समय तक चला। आभासी मंच पर किसान मेले की परिकल्पना और क्रियान्वयन आईआईएबी और बीएयू द्वारा किया गया। मौके पर डॉ विनय कुमार सिंह, किशोर त्रिभूवन, डॉ अविनाश पांडे, डॉ सुधीर कुमार, डॉ देवेंद्र कुमार, डॉ सोफी इमरान उल उमर आदि मौजूद रहे।