रांची : सरकारी जमीन घोटाले मामले की ACB करेगी जांच

झारखंड
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  • मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रस्ताव को स्वीकृति दी
  • कांके के सीओ की सेवा कार्मिक को वापस की

रांची । झारखंड की राजधानी रांची जिले के कांके अंचल स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे स्थित जुमार नदी और उसके आसपास के सरकारी जमीन घोटाले मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) करेगी। ब्‍यूरो को पीई दर्ज कर इसकी जांच करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत ने मंजूरी दे दी है। भष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को अधिकतम 45 दिनों के भीतर इस घोटाले की जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट देने को कहा गया है। सरकारी जमीन और जुमार नदी को अतिक्रमित करने और बेचने से संबंधित तैयारी में शामिल सरकारी पदाधिकारी, कर्मचारी और जमीन माफियाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

25 एकड़ जमीन बेचने की तैयारी

कांके लॉ कॉलेज से सटे रिंग रोड के किनारे करीब 25 एकड़ जमीन को प्लॉटिंग कर बेचने की तैयारी की जा रही है। साथ ही, भू-माफिया द्वारा जुमार नदी के किनारे को मिट्टी डालकर भरने एवं जेसीबी से समतल करने का कार्य किया जा रहा है। यहां लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजररूआ प्रकृति की है, जिसमें 20.20 एकड़ भूमि खतियान में नदी के रूप में दर्ज है।

उपायुक्त ने अपर समाहर्ता से कराई जांच

रांची के उपायुक्त ने यह मामला सामने आने के बाद अपर समाहर्ता (भू हदबंदी) से इसकी जांच कराई। अपर समाहर्ता ने जांच के बाद उपायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें उन्होंने कहा कि यहां की कुछ खाता संख्या के अंतर्गत आने वाले कुछ प्लॉट बकास्त भूइहरी जमीन खतिहान में दर्ज है। खाता संख्या 142, प्लॉट संख्या 2309 गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की भूमि है, जो बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के लिए अर्जित है। साथ ही, लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की है। नदी के रूप में दर्ज 20.20 एकड़ जमीन के अंश भग पर रिवर व्यू गार्डेन के प्रोपराइटर कमलेश कुमार द्वारा मिट्टी भराकर समतलीकरण का कार्य कराया जा रहा है।

कांके के अंचल अधिकारी भी शामिल

उपायुक्त ने जिला प्रशासन द्वारा इस जमीन घोटाले की कराई गई जांच रिपोर्ट भूर राजस्व विभाग को सौंपा। इसमें उन्होंने प्रतिवेदित किया है कि जमीन माफिया द्वारा सरकारी जमीन के अतिक्रमण में कांके अंचल के अंचल पदाधिकारी की संलिप्‍तला से इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकारी जमीन का संरक्षण होने के बावजूद भी अंचल अधिकारी द्वारा सरकारी जमीन और नदी को भरने के मामले को नजरअंदाज करना कहीं न कहीं उनके शामिल होने को इंगित करता है। इतना ही नहीं, कांके अंचल अधिकारी द्वारा इस साल 10 नवंबर को ई-मेल के माध्यम से प्रतिबंधित भूमि की जो सूची उपलब्ध कराई गई है, उसमें उपरोक्त सरकारी भूमि को प्रतिबंधित सूची में नहीं डाला गया है। जिसमें भू माफियाओं द्वारा कब्जा किया जा रहा है।

सीओ को निलंबित करने की अनुशंसा

उपायुक्त ने प्रतिवेदित रिपोर्ट के माध्यम से कांके के अंचल अधिकारी अनिल कुमार के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है। उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि कांके अंचल अधिकारी से इस जमीन घोटाले के मामले में स्पष्टीकरण की मांग की गई, लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है। यह उनकी स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता और उच्च अधिकारी के आदेश की अवहेलना है। अतः कांके अंचल अधिकारी को निलंबित करते हुए उनकी सेवा कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग को वापस की जा सकती है।

जमीन दलालों पर हो कठोर कार्रवाई

उपायुक्त द्वारा प्रतिवेदित रिपोर्ट में दर्ज प्राथमिकी पर त्वरित अनुसंधान करते संलिप्त पदाधिकारी, कर्मी और जमीन दलालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए। उपायुक्त द्वारा प्रतिवेदित रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने एसीबी को पीई दर्ज कर  जांच रिपोर्ट देने को कहा है।