सरकारी योजना फेल, बोरीबांध से होगी हरित क्रांति

कृषि झारखंड
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खूंटी । जनशक्ति से जल शक्ति अभियान के तहत जिले के मुरहू सदर पंचायत के सोमार बाजार मुहल्ले के बगल से बहने वाले नाले पर दो बोरीबांध बनाये गए। इसमें मुहल्ले के सभी परिवारों के 125 लोगों ने श्रमदान किया। महज तीन घंटे के अंदर दो बोरीबांध बनकर तैयार हो गए। जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी और क्षेत्र की ग्राम सभा जल संरक्षण को लेकर अभियान चला रहे हैं।

ऐसे स्‍थान पर बना बोरी बांध

एक बोरी बांध का निर्माण ऐसे स्थान हुआ, जहां पूर्व में सरकारी योजना के तहत पक्का चेक डैम बनाया गया था। हालांकि पानी के तेज बहाव के कारण एक ओर का गार्डवाल पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। दूसरे गार्डवॉल कि नीचे सुरंग बन गया था। इसके कारण डैम में पानी का ठहराव नहीं हो पा रहा था। यहां ग्रामीणों ने बोरीबांध के माध्यम से चेकडैम के दोनों ओर पानी को रोकने का काम किया। चंद घंटों में ही डैम में पानी भर गया। दूसरा चेक डैम लगभग 70 फीट लंबा बना है। इन दोनो बोरीबांध से 20 एकड़ से ज्यादा खेतों की पटवन की जा सकती है।

सोलर सिंचाई सिस्टम लगाने की मांग

श्रमदान करने वाले मुखिया पति गौतम मुंडू ने कहा कि अब लोगों को सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं होगी। उन्होंने जिला प्रशासन से सोलर आधारित सिंचाई सिस्टम यहां लगाने की मांग की, ताकि सोमवार बाजार बस्ती में हरित क्रांति लाई जा सके। पौलुस बोदरा ने कहा कि बोरीबांध बनने से गर्मी के दिनों में यहां लोगों को दैनिक कार्यों के लिए पानी की कमी नहीं होगी। राफेल होरो का मानना है कि‍ बोरीबांध बनने से सोमवार बाजार मोहल्ले में जल स्तर बढ़ेगा। जल संकट छंटेगा।

सामूहिक भोज का आयोजन हुआ

बांध बनाने के बाद संपूर्ण गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से भोज का आयोजन किया। अर्पण सुरीन ने कहा कि बोरीबांध के बहाने सोमवार बाजार मोहल्ले ग्राम सभा का संगठन भी सशक्त हुआ है। यह काफी आनंदित करने वाला काम है। श्रमदान करने वालों में गौतम मुंडू, पौलुस बोदरा, राफेल होरो, जुनास गुड़िया, दाउद मुंडू, बालका मुंडा, जेवियर पूर्ति‍, कुशल मुंडू समेत प्रत्येक परिवार के एक से दो सदस्य शामिल थे।

दिव्‍यांग का जज्‍बा देखने लायक

मुरहू सदर पंचायत के सोमार बाजार बस्ती में बन रहे बोरीबांध में एक दिव्यांग लुरकू मुंडा में जल संरक्षण का जज्बा देखने को मिला। एक हाथ में उंगलियां नहीं होने के बावजूद हथेली से काम कर उसने गांववालों के साथ पूरे दिन श्रमदान किया। अन्य लोगों को लुरकू के कामों से प्रेरणा मिल रही थी।