रांची । देश के पहले केंद्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्म दिवस के अवसर पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय एवं इसके अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों में गुरुवार को कृषि शिक्षा दिवस मनाया गया। कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने भारत में कृषि शिक्षा विकास के लिए कृषि क्षेत्र के प्रति युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण अवसर बताया। उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को भारत में कृषि शिक्षा की आवश्यकता और महत्व पर जागरूक किये जाने की आवश्यकता जताई। कृषि शिक्षा मूल रूप से कृषि, खाद्य और प्राकृतिक संसाधनों के बारे में सिखाती है। इनमें विज्ञान, गणित, संचार, नेतृत्व, प्रबंधन और प्रौद्योगिकी विषय शामिल हैं। कृषि के विभिन्न पहलुओं और देश में कृषि विकास के महत्व को उजागर करने का यह एक बेहतर अवसर है।
भारत में कृषि शिक्षा का इतिहास बताया
कृषि संकाय में आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने भारत में कृषि शिक्षा के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्राकृतिक आपदा और कृषि जोखिम को देखते हुए देश में वर्ष 1901-05 में पहली बार 6 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना की गई। वर्ष 1960 में पंतनगर में पहले कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से देश में कृषि शिक्षा को गति मिली। आज देश में 64 कृषि विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और 4 डीम्ड कृषि विश्वविद्यालय है। कृषि संस्थानों के मामले में भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश है। इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
पशु चिकित्सा शिक्षा में युवा का रूझान बढ़ा
डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कृषि शिक्षा के क्षेत्र में पशुपालन एवं पशु चिकित्सा के प्रति युवाओं में बढ़ते रूझान को बताया। विगत दस वर्षो में देश में 16 वेटनरी विश्वविद्यालय की स्थापना को बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला। डीएसडब्ल्यू डॉ डीके शाही ने बताया कि देश की नई शिक्षा नीति में स्कूली स्तर से कृषि शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। नई कृषि शिक्षा नीति के लिए भी हाल में समिति गठित की गई है। अध्यक्ष कीट डॉ पीके सिंह ने भारत में तक्षशिला विश्वविद्यालय काल से कृषि शिक्षा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में वर्ष 1960 में 4 हजार छात्रों का नामांकन के विरूद्ध वर्ष 2020 में करीब 40 हजार छात्रों का प्रति वर्ष नामांकन से कृषि शिक्षा के बढ़ते प्रभाव का पता चलता है। कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा ने कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर और लाभकारी कृषि से उद्यमशीलता विकास पर प्रकाश डाला।
कृषि प्रसार शिक्षा की गतिविधियों की जानकारी दी
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से युवक, युवती, पुरूष एवं महिला कृषकों के कृषि प्रसार शिक्षा गतिविधियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अधीन संचालित राज्य के 16 कृषि विज्ञान केंद्रों में भी इस दिवस को मनाया जा रहा है। इन केंद्रों द्वारा स्कूली छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से सफल कृषि उद्यमी द्वारा कृषि एवं सबंधित विज्ञान के विषयों के प्रति प्रेरणादायक वार्ता, प्रसिद्ध व्यक्तित्व के उपलब्धियों की जानकारी साझा करने के उद्देश्य से वेबिनार, वाद–विवाद एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। गोष्ठी में डॉ जेडए हैदर, डॉ निभा बाड़ा, ई प्रमोद रॉय, डॉ पी महापात्र, डॉ बीके झा एवं डॉ एचसी लाल ने भी अपने विचारों को रखा। गोष्ठी का संचालन डॉ नीरज कुमार और धन्यवाद ज्ञापन डॉ राकेश कुमार ने दी। गोष्ठी में तीनों संकायों के टीचिंग एवं नॉन-टीचिंग सदस्यों ने भाग लिया।
शिक्षक-छात्रों ने कृषि शिक्षा के वेबीनार में भाग लिया
कृषि शिक्षा दिवस के अवसर पर वानिकी वानिकी संकाय के शिक्षक और छात्रों ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबीनार में भाग लिया। मौके पर डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दीकी ने वानिकी शिक्षा और रोजगार के अवसर विषय पर प्रकाश डाला। वेबीनार में देश के विभिन्न भागों के 40 शिक्षकों तथा करीब 80 छात्रों ने जलवायु परिवर्तन, जल एवं भूमि संरक्षण की ज्वलंत समस्याओं और वानिकी से सबंधित ग्रामीण आजीविका, उद्योग एवं वानिकी प्रसार शिक्षा विषयों पर चर्चा में भाग लिया। मौके पर डॉ एके चक्रवर्ती, डॉ पीआर उरांव भी मौजूद थे।