जमशेदपुर। टाटा स्टील भारत की पहली कंपनी थी जिसने कार्यस्थल पर क्रेच स्थापित कर एक ऐतिहासिक पहल की। आज भी कंपनी इस दिशा में अग्रणी बनी हुई है और कॉरपोरेट भारत में सबसे व्यापक चाइल्डकेयर इकोसिस्टम में से एक का संचालन कर रही है।
वर्तमान में टाटा स्टील अपने 20 से अधिक क्रेच केंद्रों का संचालन करती है, जो देशभर में उसके संयंत्रों, खदानों, कार्यालयों और टाउनशिप क्षेत्रों में फैले हुए हैं — जिनमें जमशेदपुर, कोलकाता, वेस्ट बोकारो, नोआमुंडी, जोडा, खड़गपुर, तारापुर, हल्दिया, बामनीपाल, जाजपुर और मेरामंडली जैसे स्थान शामिल हैं।
इन सभी केंद्रों में हर समय समय सैकड़ों बच्चे नामांकित रहते हैं। जमशेदपुर स्थित मुस्कान क्रेच लगभग पूर्ण क्षमता पर संचालित होता है, जबकि नोआमुंडी, जोडा और अन्य इकाइयों में भी संख्या में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है। यहां तक कि तारापुर और सीआरएम बारा जैसे छोटे स्थलों पर भी सक्रिय क्रेच सुविधाएं उपलब्ध हैं, ताकि कार्यरत अभिभावकों को प्रत्येक स्थान पर भरोसेमंद और सुलभ बाल देखभाल समर्थन मिल सके।
प्रत्येक क्रेच केंद्र को टाटा स्टील की क्रेच नीति के अनुरूप इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वह बच्चों के लिए सुरक्षित, अनुकूल और सीखने योग्य वातावरण प्रदान करे। इन केंद्रों में बच्चों के अनुकूल बुनियादी अवसंरचना, सीसीटीवी निगरानी, चिकित्सीय देखभाल, पौष्टिक भोजन, और संरचित शिक्षण गतिविधियाँ शामिल हैं।
कर्मचारियों की नियुक्ति भी एक तय अनुपात के अनुसार की जाती है — तीन वर्ष से कम आयु के प्रत्येक पाँच बच्चों पर एक सहायक, और तीन से छह वर्ष के प्रत्येक आठ बच्चों पर एक सहायक नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा, प्रशिक्षित सुपरवाइजर और नर्सों की मौजूदगी यह सुनिश्चित करती है कि देखभाल की गुणवत्ता उच्च स्तर पर बनी रहे।
सभी क्रेच केंद्रों का स्थानीय अस्पतालों से समन्वय भी है, ताकि किसी भी आकस्मिक चिकित्सीय स्थिति में तुरंत सहायता मिल सके। इस प्रकार, टाटा स्टील के ये क्रेच केंद्र बच्चों के लिए एक सुरक्षित, संवेदनशील और जिम्मेदार वातावरण प्रदान करते हैं, जहाँ उनकी देखभाल, पोषण और विकास — तीनों पर समान रूप से ध्यान दिया जाता है।
यह पहल पूरी तरह समावेशी है — जिसका लाभ सभी कर्मचारियों को मिलता है, चाहे उनका लिंग या वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो। यह व्यवस्था छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद बाल देखभाल सुनिश्चित करती है।
टाटा स्टील अपने कर्मचारियों को केवल कार्यस्थल और निकट स्थान पर क्रेच सुविधाएँ ही नहीं देती, बल्कि क्रेच व्यय की प्रतिपूर्ति, नर्सिंग ब्रेक, और लचीले समय की सुविधा भी प्रदान करती है — ताकि माता-पिता कार्य और परिवार के बीच एक बेहतर संतुलन बनाए रख सकें।
यह प्रयास टाटा स्टील की उस प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिसमें कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण को उसके कार्यसंस्कृति का अभिन्न हिस्सा माना गया है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ये क्रेच केंद्र तीनों शिफ्टों में कार्यरत महिला कर्मचारियों को सहयोग प्रदान करते हैं। कुछ केंद्रों में तीनों शिफ्टों में संचालन पहले से शुरू हो चुका है, जबकि अन्य केंद्र भी इसी तरह की सुविधा प्रदान करने के लिए पूर्ण रूप से सुसज्जित हैं।
यह पहल टाटा स्टील की उस प्रतिबद्धता को और मज़बूत बनाती है, जिसके तहत कंपनी कार्यस्थल के हर क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि टाटा स्टील केवल समान अवसर ही नहीं, बल्कि समर्थन और सशक्तिकरण का वातावरण भी सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
मूलभूत देखभाल से आगे बढ़ते हुए, टाटा स्टील के कुछ क्रेच केंद्र — विशेष रूप से जमशेदपुर स्थित ‘मुस्कान क्रेच’ — बच्चों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित हैं। यहाँ बच्चों के लिए केवल सुरक्षित देखभाल ही नहीं, बल्कि शिक्षा, कला, नृत्य और रचनात्मक शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से उनके बौद्धिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को भी प्रोत्साहित किया जाता है।
विश्वसनीय और समावेशी बाल देखभाल सुविधाएं प्रदान करके, टाटा स्टील निरंतर कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को सशक्त बना रही है। यह पहल कंपनी के सभी परिचालन स्थलों पर एक संतुलित, प्रगतिशील और समान अवसरों वाला कार्यस्थल स्थापित करने की दिशा में उसकी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है।
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