पशुओं का इलाज संवेदना और सहानुभूति के साथ हो : डॉ एससी दुबे

झारखंड
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  • बीएयू में विश्व पशुचिकित्सा दिवस

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एससी दुबे ने संवेदना, सहानुभूति और समानुभूति के साथ पशुओं का इलाज करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सकों का दायित्व केवल रोगों का प्रबंधन या नियंत्रण करना नहीं है, बल्कि पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास और उन्हें ज्यादा स्वस्थ एवं मजबूत बनाने की भी अपेक्षा भी उनसे है। रोग प्रबंधन या आपदा प्रबंधन की तुलना में स्वास्थ्य प्रबंधन बहुत बड़ा टर्म है।

डॉ दुबे शनिवार को बीएयू के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में आयोजित विश्व पशुचिकित्सा दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पशु-पक्षी अपनी तकलीफ और वेदना का बयान नहीं कर सकते, उसे लक्षणों के आधार पर समझना पड़ता है इसलिए पशु चिकित्सकों का कार्य मानव के चिकित्सकों से ज्यादा कठिन और चुनौतीपूर्ण है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के पशु औषधि विभाग के अवकाशप्राप्त अध्यक्ष डॉ शमशुल हक ने कुत्तों में डायलिसिस की प्रक्रिया और महत्व पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सकों के पेशे को पहचान और सम्मान प्रदान करने के लिए विश्व पशु चिकित्सा संघ ने वर्ष 2000 में विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाने की शुरुआत की।

संघ के वैश्विक बैनर के तहत दुनिया के 80 से अधिक संगठन प्रतिवर्ष अप्रैल माह के आखिरी शनिवार को यह दिवस मनाते हैं। पशु चिकित्सकों को अपने पेशा पर हमेशा गर्व करना चाहिए कि उन्होंने मूक प्राणी की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर रखा है।

आरंभ में स्वागत भाषण करते हुए पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ एमके गुप्त ने कहा कि भारत में पशु-पक्षियों की आबादी भी मनुष्य के समान ही लगभग 140 करोड़ है जिनकी सेवा के लिए मात्र 85 हजार पंजीकृत पशु चिकित्सक हैं। झारखंड में पंजीकृत पशु चिकित्सकों  की संख्या केवल 957 है। इसलिए पशुओं के समुचित स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए मेडिकल और सर्जिकल वेटनरी सहायक, क्रिटिकल केयर के लिए आईसीयू सहायक, प्रयोगशाला और रेडियोग्राफी के लिए वेटनरी सहायक तथा इकोकार्डियोग्राफी, डायलिसिस आदि के लिए वेटनरी टेक्नीशियन स्पेशलिस्ट की आवश्यकता है। ऐसे पारा मेडिकल मानव संसाधन तैयार करने के लिए पशुचिकित्सा महाविद्यालयों में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और टेक्नीशियन पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव, कुलसचिव डॉ शैलेश चट्टोपाध्याय और वक्तृत्व कला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र राहुल यादव ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त वयोवृद्ध शिक्षकों डॉ स्वराज ठाकुर, डॉ चंद्रमणि प्रसाद, डॉ रवीन्द्र भक्त तथा पशु औषधि निर्माता कंपनी विरबैक के क्षेत्रीय व्यवसाय प्रबंधक श्याम सुंदर लाल को सम्मानित किया गया।

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