विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्राथमिक संपर्क बिंदु है जिला विधिक सेवा प्राधिकरण : मुख्‍य न्‍यायाधीश

झारखंड
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  • झारखंड के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की 5वीं राज्य स्तरीय बैठक

रांची। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में झारखंड के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की 5वीं राज्य स्तरीय बैठक रविवार को हुई। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव (मुख्य न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय-सह-मुख्य संरक्षक, झालसा), न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद (न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, झालसा), न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी (न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी (न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय) और न्यायमूर्ति दीपक रोशन (न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय) ने न्याय सदन, झालसा के सभागार में किया।

इस अवसर पर एमिटी लॉ स्कूल, एमिटी विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज, रांची विश्वविद्यालय में लीगल एड क्लिनिक का उद्घाटन मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव ने वर्चुअल माध्यम से किया। इस कार्यक्रम में झारखंड के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्ष एवं सचिव तथा एलएडीसी, मध्यस्थ एवं पीएलवी ने भाग लिया।

उद्घाटन कार्यक्रम में न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्ष के रूप में भाग ले रहे प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से कहा कि वे संबंधित न्यायालयों पर यह प्रभाव डालें कि छोटे अपराधों में व्यक्ति को हिरासत में लेते समय यंत्रवत् रिमांड आदेश पारित नहीं किया जाए।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्राथमिक संपर्क बिंदु हैं। जमीनी स्तर पर न्याय तक पहुंच प्रदान करने की आधारशिला हैं। झारखंड 2024 की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में 99.49% की उच्चतम निपटान दर हासिल करके शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य बन गया है। यह हमारे विधिक सेवा कार्यबल द्वारा की जा रही लगातार कड़ी मेहनत को दर्शाता है। उनके योगदान का प्रमाण है।

झालसा की सदस्य सचिव कुमारी रंजना अस्थाना ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उद्घाटन कार्यक्रम के बाद तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और सह-अध्यक्षता न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी, न्यायमूर्ति दीपक रोशन और कुमारी रंजना अस्थाना ने की।

डॉ. आलोक कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, विधि विभाग, सरला बिरला विश्वविद्यालय), जेल आईजी एवं टीम, डीआईजी सीआईडी ​​और फैजान अहमद, आईए  एवं एएस सेवानिवृत्त सीनियर डीएजी, ने रिसोर्स पर्सन के रूप में भाग लिया।

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