बीएयू के 6 कॉलेजों के एक्रीडिटेशन की पात्रता पर होगा मंथन

झारखंड
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  • आईसीएआर की समीक्षा समिति पहुंची, विवि और कॉलेजों की दी जानकारी

रांची। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति शनिवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) पहुंची। इस समीक्षा समिति के अध्यक्ष कृषि एवं बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय (शिमोगा, कर्नाटक) के पूर्व कुलपति डॉ एमके नाइक हैं। समिति बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के छह नए कॉलेज कॉलेजों के कामकाज की समीक्षा एवं उनके प्रत्ययन के संबंध में अपना मंतव्य परिषद को देगी।

समिति में सदस्य के रूप में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (कोयंबटूर) के कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय के डीन डॉ ए रबि राज, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (उदयपुर) के डेयरी टेक्नोलॉजी महाविद्यालय के डीन डॉ लोकेश गुप्त, डॉ वाईएसआर बागवानी विश्वविद्यालय, पश्चिमी गोदावरी जिला (आंध्र प्रदेश) के बागवानी महाविद्यालय की एसोसिएट डीन एवं निदेशक अनुसंधान डॉ एम माधवी और आईसीएआर, नयी दिल्ली के शिक्षा प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ दिनेश चंद्र शामिल हैं।

समिति के सदस्य अपनी विशेषज्ञता के अनुसार कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय (कांके, रांची), कृषि महाविद्यालय (गढ़वा), तिलकामांझी कृषि महाविद्यालय (गोड्डा), फूलो झानो मुर्मू डेयरी प्रौद्योगिकी महाविद्यालय (हंसडीहा, दुमका), बागवानी महाविद्यालय (खूंटपानी, चाईबासा) और रवींद्रनाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय (देवघर) का दौरा करेंगे। वहां कॉलेज के विभिन्न विभागों, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, छात्रावास, परीक्षा भवन, व्याख्यान कक्ष आदि का भ्रमण करेंगे तथा शिक्षकों, कर्मियों, छात्र-छात्राओं से विमर्श करेंगे।

शनिवार को विश्वविद्यालय के प्रबंध पर्षद कक्ष में प्रसार शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ बीके झा ने विश्वविद्यालय बारे में और 6 नए कॉलेजों के एसोसिएट डीन ने अपने-अपने महाविद्यालय की गतिविधि, उपलब्धि और सुविधाओं के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया। कुलपति डॉ एससी दुबे ने समिति की जिज्ञासाओं का शमन किया। विश्वविद्यालय में शिक्षकों, वैज्ञानिकों और कर्मियों के अधिकांश पद रिक्त रहने के कारणों पर प्रकाश डाला।

समिति के अध्यक्ष डॉ एमके नाइक ने कहा कि समिति विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों, कॉलेज और विश्वविद्यालय के कामकाज की समीक्षा करेगी। विभिन्न स्टेक होल्डर्स जैसे विद्यार्थियों, किसानों, कर्मचारियों, पूर्ववर्ती विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों आदि से बात करेगी। अगर विश्वविद्यालय का काम अच्छा है तो उसे और बेहतर एवं सर्वोत्तम बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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