- पोस्टर बनाने की हुई प्रतियोगिता
- सेंट जोसेफ स्कूल में हुआ कार्यक्रम
रांची। प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर आत्महत्या रोकथाम के बारे में जागरुकता बढ़ाने के प्रयासों पर प्रकाश डाला जाता है। इस वर्ष का थीम ‘आत्महत्या की कहानी बदलें’ है। यह मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के सन्दर्भ में बातचीत को नया रूप देने के लिए प्रोत्साहित करता है। केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान (सीआईपी) में विभिन्न विभागों ने इस महत्वपूर्ण उद्देश्य का समर्थन करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए।
बाल एवं किशोर मनोरोग केंद्र (सीसीएपी) ने 9 सितंबर, 2024 को पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता और एक प्रतिज्ञा दीवार के साथ गतिविधियों की शुरुआत की। इसमें बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अपने विचार और प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। वार्ड में बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए एक 10 सितंबर को जागरुकता कार्यक्रम एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई। उन्हें आत्महत्या रोकथाम के बारे में सार्थक चर्चाओं में शामिल किया गया।
मनोरोग सामाजिक कार्य विभाग ने आत्महत्या रोकथाम जागरुकता रैली के माध्यम से जनता तक संदेश पहुंचाया। यह सुबह 8.30 बजे सीआईपी मुख्य द्वार से कांके चौक तक गई। विभाग के शिक्षकों और विद्वानों ने आम जनता के लिए एक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया। इसमें एक संवादात्मक और प्रभावशाली तरीके से जागरुकता बढ़ाई गई। इसके अतिरिक्त सीआईपी, ओपीडी में मरीजों और उनके अभिभावकों के लिए जागरुकता व्याख्यान एवं शपथ समारोह आयोजित किया गया।
क्लीनिकल साइकोलॉजी विभाग ने कार्यालय कर्मचारियों, नर्सिंग कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मियों और वार्ड परिचारकों के लिए गेट कीपर सत्र आयोजित किया। इस सत्र में मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता, आत्महत्या की रोकथाम और संकट हस्तक्षेप पर संवादात्मक समूह गतिविधियों, समूह चर्चा और भूमिका निभाने के माध्यम से चर्चा की गई, ताकि प्रतिभागियों को संकट में व्यक्तियों की सहायता करने के लिए आवश्यक ज्ञान व कौशल से लैस किया जा सके।
डी-एडिक्शन सेंटर विभाग के तहत ड्रग डी-एडिक्शन प्रोग्राम (डीडीएपी) टीम ने सेंट जोसेफ स्कूल में ‘पदार्थ और व्यवहार की लत से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे और आत्महत्या के साथ इसका अंतर्संबंध’ विषय पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया। उन्होंने सीआईपी में मरीजों के साथ एक संवादात्मक संवेदीकरण कार्यक्रम भी आयोजित किया, जिसमें पदार्थ की लत के संबंध में आत्महत्या और आत्म-क्षति का जोखिम पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इन कार्यक्रमों ने आत्महत्या की रोकथाम के प्रयासों में समुदाय-व्यापी भागीदारी की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। इसमें प्रत्येक विभाग मानसिक स्वास्थ्य वकालत के लिए एक समग्र दृष्टिकोण में योगदान देता है।
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