- गोस्सनर कॉलेज में सेमिनार का आयोजन
रांची। गोस्सनर कॉलेज के आईक्यू एसी और जियोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से मंगलवार को सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का विषय ‘वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट इन हार्ड रॉक टीरेन विथ स्पेशल रिफ्रेंस टू झारखंड’ था। कार्यक्रम को दो सत्रों में बांटा गया था। उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ अमरेश मिश्रा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज की प्रो. इंचार्ज इलानी पूर्ति ने की।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा) डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनना है तो उसे जीवन की गुणवत्ता के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा। आज विश्व के 280 देशों में पेयजल संकट की समस्या है।
डॉ सिंह ने कहा कि झारखंड का 80 प्रतिशत भाग कठोर आग्नेय चट्टानों से निर्मित है। इस कारण इसमें भूमिगत जल का समाव /अवशोषण कम होता है। प्राकृतिक रूप से यहां भूगर्भ जल की अच्छी मात्रा रही थी, जो विगत वर्षों में अंधाधुंध और अविवेकपूर्ण दोहन के कारण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। सचेत नहीं हुए तो भविष्य में इसके भयंकर दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे।
विशिष्ट अतिथि रांची विश्वविद्यालय के पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ पीके वर्मा ने कहा कि झारखंड में औद्योगीकरण और अंधाधुंध खनन के कारण भूमिगत जल दूषित हो रहे हैं। हमसबों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग और रूफ टॉप को घर-घर बढ़ावा देने की जरूरत है।
तकनीकी सत्र की मुख्य वक्ता जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (रांची शाखा) की निदेशक डॉ देवाश्री प्रताप सिंह ने झारखंड-बिहार की चट्टानों के अंतर पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि झारखंड की चट्टानें लगभग 350 करोड़ वर्ष पुरानी है। चाईबासा आदि क्षेत्रों के चट्टान इससे भी पुराने है। झारखंड में अभी 70 प्रतिशत भूमिगत जल शेष है। जल अवशोषण दर बहुत धीमी है। हमलोग सचेत नहीं हुए तो 50 वर्षों में शहरी क्षेत्रों में भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
कार्यक्रम में संत जेवियर कॉलेज के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ जयंत सिन्हा, सामाजिक कार्यकर्ता अमरेंद्र, साइंटिस्ट भीम राय, प्रो विनीता श्रीवास्तव आदि ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम का संचालन प्रो अमोस तोपनो और आभार ज्ञापन प्रो सीआर नवल लुगुन ने किया।
मौके डॉ मृदुला खेस, डॉ अभिषेक तोपनो, कार्यक्रम संयोजक डॉ श्यामलाल सिंह, डॉ प्रशांत गौरव सहित विभिन्न महाविद्यालय के शिक्षक और शोधार्थी मौजूद थे।
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