रांची। गोस्सनर कॉलेज में जनजातीय विभाग की ओर से पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती 23 अगस्त, 2024 को धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर की गयी। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ इवा हांसदा ने कहा है कि डॉ रामदयाल मुंडा न सिर्फ आदिवासी, बल्कि दूसरे समाज में भी काफी लोकप्रिय थे। उनकी विनम्रता ने उन्हें एक अलग पहचान दी थी। आज आदिवासी समाज को अपने आईकॉन और हीरो को स्थापित करने की जरूरत है। डॉ मुंडा समस्याओं के समाधान के लिए डायलॉग का रास्ता अपनाते थे।
गोस्सनर कॉलेज आर्ट्स विभाग की संकाय अध्यक्ष डॉ ज्योति टोप्पो ने कहा कि आदिवासी समाज को अपनी भाषा संस्कृति को आगे लेकर जाने की जरूरत है। विकास के साथ भाषा संस्कृति को नहीं छोड़ना चाहिए। डॉ प्रदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि आज आदिवासी समाज अपनी भाषा संस्कृति छोड़ रहा है। यह चिंताजनक है।
डॉ हाराधन कोइरी ने डॉ रामदयाल मुंडा के कृतियां और पंचपरगनियां भाषा में लिखी उनकी रचनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ मृदुला खेस ने भी डॉ मुंडा के कार्यों पर प्रकाश डाला। डॉ योताम कल्लू ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा के आदर्शों का अनुपालन करके समाज को दिशा देने की जरूरत है। प्रोफेसर हेमंत कुमार टोप्पो ने डॉ रामदयाल मुंडा की जीवनी पर प्रकाश डाला।
डॉ कोरनेलियुस मिंज और प्रोफेसर आइजक कंडुलना ने भी अपने विचार रखें। प्रोफेसर मीना सुरीन ने धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन क्रिस्टिना होरो और रोहित भगत ने किया।
मौके पर छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रोफेसर विनोद राम, जोलेन सोय, अमित कुजूर, ध्रुपद चौधरी, डॉ अब्दुल बासित सहित विद्यार्थी मौजूद थे।
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