नई दिल्ली। बड़ी खबर आई है, सीबीआई ने शनिवार को इस्पात मंत्रालय तथा मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के अधिकारियों पर 315 करोड़ रुपये की एनआईएसपी परियोजना में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मामला दर्ज किया है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आज ये जानकारी दी।
जांच एजेंसी ने बताया कि इसने 315 करोड़ रुपये की परियोजना के क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार को लेकर इस्पात मंत्रालय के एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट के आठ अधिकारियों समेत मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि जगदलपुर एकीकृत इस्पात संयंत्र से संबंधित कार्यों के लिए मेघा इंजीनियरिंग के 174 करोड़ रुपये के बिलों को मंजूरी देने में लगभग 78 लाख रुपये की कथित रिश्वत दी। FIR में एनआईएसपी और एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन के दो अधिकारियों को भी कथित तौर पर रिश्वत लेने के लिए नामित किया गया है।
यहां बताते चलें कि, हाल ही में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड खूब चर्चा में रही। हैदराबाद की कम प्रसिद्ध कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली दूसरी सबसे बड़ी दानदाता है।
इसने वित्त वर्ष 2019-20 और 2023-24 के बीच कुल 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। चुनावी बॉन्ड खरीदने के लिहाज से यह कंपनी दूसरे स्थान पर रही है। इस गैर-सूचीबद्ध फर्म ने चुनावी बॉन्ड से भाजपा को सबसे अधिक लगभग 585 करोड़ रुपये का चंदा दिया था।
कंपनी ने बीआरएस को 195 करोड़ रुपये, डीएमके को 85 करोड़ रुपये और वाईएसआरसीपी को 37 करोड़ रुपये का दान दिया। टीडीपी को कंपनी से करीब 25 करोड़ रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को 17 करोड़ रुपये मिले।
इस कंपनी की स्थापना 1989 में उद्योगपति पामीरेड्डी पिची रेड्डी ने मेघा इंजीनियरिंग एंटरप्राइजेज के रूप में की थी। वर्ष 2006 में इसने अपना नाम बदलकर मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कर लिया और बांध, प्राकृतिक गैस वितरण नेटवर्क, बिजली संयंत्र और सड़कों जैसी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सक्रिय हो गई।