कोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और खालिद सैफी समेत इन 13 लोगों पर किया आरोप तय

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नई दिल्ली। बड़ी खबर आ रही है, दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों के मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी समेत 13 लोगों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।

इन आरोपों में हत्या का प्रयास और गैरकानूनी रूप से भीड़ लगाने से संबंधित आरोप भी शामिल हैं। हालांकि, अदालत ने सभी 13 आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने, उकसाने और साझा मंशा और आर्म्स एक्ट के आरोपों से बरी कर दिया।

स्पेशल जज अमिताभ रावत ने शुक्रवार को दिए आदेश में कहा, ”..यह मानने का आधार है कि आरोपी व्यक्तियों ने आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 148 (दंगा, जानलेवा हथियार से लैस), 186 (सरकारी सेवा के काम में बाधा डालना), 188 (सरकारी सेवा के आदेश की अवज्ञा), 332 (सरकारी सेवक को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना) और धारा 353 (सरकारी सेवा को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए उस पर हमला करना या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत अपराध किया।”

जज ने यह भी कहा कि आरोपी आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 149 (गैरकानूनी रूप से एकत्रित होना) के तहत अपराध के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए उत्तरदायी हैं। अदालत ने कहा, ”सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 34 (साझा मंशा), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 109 (उकसाने) के अपराध से बरी किया जाता है।” अदालत ने कहा कि आरोपियों को आर्म्स एक्ट के प्रावधानों के तहत अपराध से भी बरी किया जाता है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खुरेजी खास इलाके में मस्जिद वाली गली में हुई। अदालत ने कहा कि आरोप तय किए जाने के चरण पर केवल ”प्रथम दृष्टया” मामले पर विचार किया जाता है और यह मुकदमे के बाद पता चलेगा कि क्या आरोपियों के खिलाफ मामला संदेह से परे है।

अदालत ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शी और पीड़ित हेड कॉन्स्टेबल योगराज (इलाके के बीट कॉन्स्टेबल) ने घटना के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज कराने के लिए दिए बयान में खासतौर से सभी 13 आरोपियों के नाम दर्ज कराए थे।

अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने सभी आरोपयों की स्पष्ट रूप से पहचान की थी, जो हथियारों से लैस होकर गैरकानूनी रूप से एकत्रित हुए और इशरत जहां तथा खालिद सैफी के उकसाने पर पुलिस पर पथराव किया, जबकि भीड़ में शामिल एक नाबालिग ने हेड कॉन्स्टेबल पर गोली चलाई थी। 

कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट की सामग्री और गवाहों के बयानों के आधार पर दंगों में आरोपियों की भूमिका प्रथम दृष्टया साबित हो गई है। जगतपुरी थाना पुलिस ने आरोपियों- इशरत जहां, खालिद सैफी, विक्रम प्रताप, समीर अंसारी, मोहम्मद सलीम, साबू अंसारी, इकबाल अहमद, अंजार, मोहम्मद इलियास, मोहम्मद बिलाल सैफ, सलीम अहमद, मोहम्मद यामीन और शरीफ खान के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।