ट्रेन लेट होने के कारण अहम मीटिंग में भाग नहीं ले सका यात्री, रेलवे को लगा इतने रुपये जुर्माना, आदेश जारी

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। बड़ी खबर केरल से आ रही है, जहां एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने दक्षिण रेलवे को ट्रेन लेट होने पर एक यात्री को 60,000 रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया है।

एलेप्पी एक्सप्रेस के 13 घंटे देरी से चलने के कारण यात्री चेन्‍नई में होने वाली अपनी कंपनी की मीटिंग में नहीं पहुंच पाया था। इस वजह से उसे काफी निराशा और हानि हुई। उपभोक्‍ता आयोग ने कहा कि यात्रियों के समय का महत्‍व निर्विवाद है। ट्रेन लेट होने से उत्‍पन्‍न हुई हानि के लिए रेलवे जिम्‍मेदार है।

बताते चलें कि, कार्तिक नाम के एक शख्‍स ने चैन्‍नई जाने के लिए 6 मई, 2018 को एलेप्‍पी एक्‍सप्रेस में टिकट बुक कराया था। कार्तिक को अपनी कंपनी की एक महत्‍वपूर्ण मीटिंग में भाग लेना था। निर्धारित समय पर वह रेलवे स्‍टेशन पर पहुंच गया, पर ट्रेन समय पर नहीं आई।

एलेप्‍पी एक्‍सप्रेस पूरा 13 घंटे लेट थी। ट्रेन लेट होने की वजह से कार्तिक कंपनी की महत्‍वपूर्ण बैठक में भाग नहीं ले सका। इसका प्रतिकूल प्रभाव उसके करियर पर पड़ा।

कार्तिक ने रेलवे से अपने नुकसान की भरपाई के लिए एर्नाकुलम जिला उपभोक्‍ता विवाद निवारण आयोग में केस दायर कर दिया और रेलवे से नुकसान की भरपाई की मांग की।

कार्तिक का कहना था कि रेलवे ने ट्रेन लेट होने की समय पर जानकारी नहीं दी और न ही ट्रेन के देरी से चलने पर वैकल्पिक इंतजाम किए। यह सेवा में लापरवाही का मामला है।

रेलवे ने अपने बचाव में तर्क दिया कि यात्री ने रेलवे को अपनी यात्रा के उद्देश्‍य के बारे में सूचित नहीं किया था। अगर यात्री रेलवे को सूचना दे देता, तो वे आवश्‍यक सावधानी बरतते।

उपभोक्‍ता आयोग ने रेलवे के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यात्रियों के समय का महत्‍व निर्विवाद है। 13 घंटे की देरी और यात्री के साथ समुचित सूचना साझा न करना ‘सेवा में विफलता’ है। रेलवे विस्तारित देरी और उसके परिणामों के लिए जिम्मेदार है।

इसलिए वह यात्री की हुई हानि की भरपाई करने के लिए उत्‍तरदायी है। उपभोक्‍ता विवाद निवारण आयोग ने रेलवे को यात्री को मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये तथा वाद खर्च के रूप में 10,000 रुपये देने का आदेश दिया।