किसानों को पिंजरे में मछली पालन की मिली तकनीकी जानकारी

झारखंड
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  • मत्स्य किसानों के लिए आयोजित सतत जलकृषि प्रशिक्षण

गुमला। मत्स्य किसानों को पिंजरे में मछली पालन की तकनीकी जानकारी दी गई। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीन संचालित मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय में सतत जलकृषि पर प्रशिक्षण के दौरान उन्‍हें यह जानकारी मिली। इसमें 28 किसानों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण 5 अक्‍टूबर से से 7 अक्‍टूबर, 2023 तक चला। यह प्रशिक्षण गुमला उपायुक्त से संपोषित है। इसमें 28 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया, जिसमे 22 महिला और 6 पुरुष शामिल थे। सभी प्रशिक्षणार्थी गुमला जिले के बसिया प्रखंड से थे।

प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थीयों को समन्वित मछली पालन, मिश्रित मछली पालन, पिंजरे में मछली पालन के साथ-साथ मछली आहार और मछली के मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने की विधि बताई गई।

प्रशिक्षण में सम्मिलित सभी लोग धनसिंह जलाशय में पिंजरे में मछली पालन से जुड़े हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें पिंजरे में मछली पालन से सम्बंधित तकनीकी जानकारी दी गयी। इसमें आने वाली समस्याओं के निराकरण के बारे में भी चर्चा की गयी।

मछली के मूल्यवर्धक उत्पाद बनाने और इन्हें बाजार में बेचने के बारे में बताया गया। मछली का मोमो बनाना सिखाया गया। प्रशिक्षण के दौरान उनके द्वारा बनाये गए मोमो को महाविद्यालय के मुख्य द्वार पर टेंट लगाकर बिक्री भी की गयी। इसके अलावे उन्हें मछली के आहार बनाने एवं इसके प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण के समापन में सह-अधिष्ठाता डॉ एके सिंह ने सभी को प्रोत्साहित किया।

समापन पर सभी को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और 2 क्रेट प्रदान किया गया। यह प्रशिक्षण महाविद्यालय के सह-अधिष्ठाता डॉ एके सिंह के मार्गदर्शन और डॉ गुलशन के दिशा निर्देश में संपन्‍न हुआ।

प्रशिक्षण में महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ श्वेता कुमारी, डॉ प्रशांत जना, डॉ रोहितास यादव, डॉ मनमोहन एवं डॉ कस्तूरी चट्टोपाध्याय के साथ-साथ अन्य सभी सहायक प्राध्यापकों, गैर शैक्षणिक कर्मचारी श्रीमती रेशमी सिंह एवं संजय नाथ पाठक का भी योगदान रहा।

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