Bihar: दुनिया की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं बिहार की धरती पर ही फली-फूलीं: राष्ट्रपति

बिहार देश
Spread the love

गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इन दिनों बिहार के दौरे पर हैं। दौरे के आखिरी दिन शुक्रवार (20 अक्टूबर) को गया स्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को उन्होंने संबोधित किया।

कहा- कि प्राचीन काल से ही बिहार प्रतिभाओं को निखारने के लिए जाना जाता रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार की धरती पर चाणक्य और आर्यभट्ट जैसे महान विद्वानों ने समाज-राज्य व्यवस्था के साथ गणित-विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिया। उन्होंने कहा कि सभी को इस बात पर गर्व है कि दुनिया की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं बिहार (वैशाली) की धरती पर ही फली-फूलीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि इसी पवित्र भूमि पर भगवान महावीर और भगवान बुद्ध ने शांति, अहिंसा, करुणा और प्रेम का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भी ‘अहिंसा परमो धर्म’ के संदेश को नया आयाम इसी धरती पर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी की शिक्षाएं आज और भी अधिक प्रासंगिक हैं और हमारे देश की इस समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने से विश्व कल्याण में मदद मिल सकती है।

उन्होंने कहा कि युवा छात्र इन समृद्ध परंपराओं के वाहक हैं। वे चुन सकते हैं और एक बेहतर समाज, देश और दुनिया बनाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने छात्रों से अपनी व्यक्तिगत प्रगति के साथ-साथ सामाजिक कल्याण और परोपकार के मूल्यों को अपने लक्ष्यों में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसे समग्र लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयास उनकी शिक्षा को सार्थक साबित करेंगे और सफलता के द्वार खोलेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज बिहार के प्रतिभाशाली लोग देश-विदेश में चौथी औद्योगिक क्रांति में अपना योगदान दे रहे हैं। प्रदेश के उद्यमशील लोगों ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनायी है। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रगति के ऐसे वैश्विक मानक स्थापित करना सभी का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों से इस परिवर्तनकारी दौर में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि कई देश प्रतिभा की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। देश के प्रतिभाशाली और मेहनती युवा दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं और ज्ञान-विज्ञान की प्रगति में अमूल्य योगदान दे रहे हैं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है।

हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य जल्द ही भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारे युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि छात्र अपनी क्षमताओं का समुचित उपयोग कर देश को जन सांख्यिकीय लाभांश से लाभान्वित कर सकते हैं।

द्रौपदी मुर्मू ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनानी होगी और ऐसे काम करने होंगे, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग और अधिकतम संरक्षण और संवर्धन हो सके।