SBU में नई शिक्षा नीति पर वाइस चांसलर ने की चर्चा, उभरे ये विचार

झारखंड
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रांची। सरला बिरला विश्वविद्यालय (SBU) के एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के बोर्ड रूम में वाइस चांसलर पैनल डिस्कशन का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक के नेतृत्व में 30 सितंबर को किया गया। इसका थीम ‘इंप्लीमेंटेशन आफ नेशनल एजुकेशन पॉलिसी एंड इंडियन ट्रेडिशनल’ था। इसमें राज्य के सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालय के 13 कुलपति और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लि‍या। अपने-अपने यहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों के बारे में बारी-बारी से अपने विचारो साझा किये।

स्वागत करते हुए सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक ने पैनल चर्चा के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 3 वर्ष पूर्ण होने पर विभिन्न विश्वविद्यालय में क्रियान्वयन के लिए बहुत कुछ किए गए। बहुत कुछ किए जाने की योजनाएं है।

इस वाईस चांसलर पैनल चर्चा में लगभग सभी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं प्रतिनिधियों ने अपने-अपने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और उसमें आने वाली चुनौति एवं बाधाओं की खुलकर चर्चा की। कहा कि आधारभूत संरचना के साथ-साथ योग्य एवं गुणवत्तायुक्त शिक्षकों की उपलब्धता एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूर्ण रूपेण क्रियान्वित किया जा सकता है।

रांची विश्वविद्यालय कुलपति के प्रतिनिधि सह अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजकुमार शर्मा ने रांची विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के दिशा में अपनाया गए सभी प्रयासों की केवल चर्चा की। क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं के समाधान के लिए कई उचित एवं उपयोगी सुझाव भी दिये।

भारतीय ज्ञान परंपरा में पाणिनी की अष्टाध्यायी, सुश्रुत संहिता, चरक संहिता, आर्यभटियम आदि कई महत्वपूर्ण भारती ग्रंथों का उदाहरण देते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्ता को रेखांकित किया।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति सह नीलांबर पीताम्बर विवि के कुलपति प्रोफेसर तपन कुमार शांडिल्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की चर्चा करते हुए अपने प्रयासों की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की रिक्तियां सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि केवल संवैधानिक बातों की चर्चा मात्र से नहीं अपितु इस नीति के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिला स्तर पर विश्वविद्यालय की स्थापना की आवश्यकता है।

इक्कफाई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमन कुमार झा ने क्रियान्वयन की चर्चा करते हुए क्वालिटी टीचिंग के लिए क्वालिटी टीचर की आवश्यकता एवं स्किल डेवलपमेंट, स्किल इन्हांसमेंट चर्चा की आवश्यकता बताते हुए शिक्षक शिक्षा की कमी को बड़ी बाधा बताया।

झारखंड टेक्निकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डीके सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान के वे स्रोत होते हैं, जो समाज के अंधकार का हरण करते हुए ज्ञान की रोशनी फैलाते हैं। उन्होंने इंपैक्ट ऑफ टेक्नोलॉजी, हॉलिस्टिक पर्सनालिटी, बियोंड थे क्लासेस एंड बियोंड थे बाउंड्री वॉल शिक्षा की चर्चा करते हुए क्रियान्वयन की दिशा में प्रयासों एवं चुनौतियों के समाधान के महत्वपूर्ण गुर बताए। उन्होंने कहा कि शिक्षा छात्र केंद्रित एवं फैकल्टी केवल मेंटर के तौर पर छात्र का स्किल एनहांस करने में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा की चर्चा करते हुए ज्ञान, ध्यान और विज्ञान की विवेचना की।

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रांची के कुलपति प्रोफेसर अशोक आर पाटिल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में प्रयासों एवं चुनौतियां की चर्चा की। झारखंड राज्य खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर त्रिवेणी नाथ साहू ने कहा की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तब तक केवल थ्योरी है, जब तक उसे लागू नहीं किया जाय। उन्होंने कहा कि केवल विश्वविद्यालय की स्थापना करने मात्र से नहीं योग्य शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति के द्वारा ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित किया जा सकता है। उन्होंने सरकारी विश्वविद्यालयों के समस्याओं से अवगत कराया।

सरला बिरला विश्वविद्यालय के मानविकी की डीन प्रो नीलिमा पाठक ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर विस्तृत एवं प्रेरक उद्बोधन देकर न केवल भारतीय ज्ञान परंपरा से सभी को अवगत कराया बल्कि भारतीय ऋषि परंपरा के के अनुकूल सामाजोपयोगी, जीवन कौशल से संपन्न, योग्य नागरिक निर्माण करने की दिशा में सभी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया।

श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोविंद महतो ने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति को समाप्त करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुकूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रैक्टिकल तौर पर लागू करने की हर एक चैलेंज को स्वीकार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम सभी को निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत इसे अवश्य ही लागू करना होगा।

वाईबीएन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी यादव ने कहा कि पूर्व की शिक्षा नीति ने भारत को खंड-खंड विभाजित करने का कार्य किया, अवश्य भारत को विश्व गुरु बनाने में कामयाब होगी। उन्होंने कहा कि बिना शिक्षकों के छात्रों को पढ़ाएगा कौन? यह सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि अब हमें केवल समाधान की बात करनी होगी समस्याओं पर चर्चा करने से कुछ होने वाला नही है।

आरकेडीएफ विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि डॉ राजीव रंजन, बिरसा एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि डॉ बीके झा, झारखंड राज्य विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि डॉ श्रद्धा प्रसाद, साईं नाथ विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि डॉ के राजेश्वर आदि ने भी अपने-अपने विचार रखें।

बैठक का संचालन डॉ रिया मुखर्जी ने किया एवं धन्यवाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफ़ेसर विजय कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष सह संकायाध्यक्ष और पदाधिकारी उपस्थित थे।

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