नई दिल्ली। पूरा देश कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर उत्साहित रहता है। यह एक विशेष हिंदू त्योहार है। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का अत्याधिक महत्व है। जन्माष्टमी श्री कृष्णा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह वहीं दिन है, जब भगवान विष्णु ने धरती पर कृष्ण के रुप में अवतार लिया था।
हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भक्त श्रद्धाभाव से श्रीकृष्ण के लिए व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में विभिन्न स्थलों पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। श्रीकृष्ण के लिए पालकी सजाई जाती है। नाटक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विभिन्न स्थलों पर श्रीकृष्ण की लीला दिखाई जाती है।
इस साल भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भक्तों में कन्फ्यूजन है। जन्माष्टमी का त्यौहार दो दिन मनाया जाता है। एक दिन गृहस्थ जीवन वाले और दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय वाले जन्माष्टमी मनाते हैं। इसलिए 6 और 7 सिंतबर दोनों दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर और वैष्णव संप्रदाय 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। साधू, संत और सन्यासियों में कृष्ण की पूजा का अलग विधान है। शास्त्रों में पंचदेवों के उपासक (गृहस्थ) यानी स्मात संप्रदाय के लोगों के लिए कृष्ण की उपासना अलग तरीके से बताई गई है।
इस दिन दही हांडी का उत्सव भी मनाया जाता है। रोहिणी नक्षत्र 06 सितंबर 2023, सुबह 09:20 से शुरू होकर 07 सितंबर 2023, सुबह 10:25 पर खत्म होगा।
बता दें कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से संपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस दिन विधिपूर्वक यशोदा नदंन की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। जन्माष्टमी के दिन शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और पंचमेवा से बाल कृष्ण की मूर्ति को स्नान कराया जाता है।
इसके बाद उन्हें वस्त्र पहनाकर पालने में स्थापित करते हैं। श्रीकृष्ण की आरती की जाती है। साथ ही उन्हें माखन, दही, दूध, खीर, मिश्री और पंजीरी का भोग भी लगाएं। यह त्यौहार मथुरा, वृन्दावन और उन स्थानों पर जहां कृष्ण के भक्त रहते हैं, बहुत महत्व रखता है।
इस दिन दही-हांडी का गेम रखा जाता है, जिसमें सड़कों पर ऊंचे खंभों पर एक हांडी में दही लटकाई जाती है। पुरुष इस दहीहांडी तक पहुंचने और तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं।