नई दिल्ली। अच्छी खबर है। शुक्रवार को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के मकसद से रक्षा अधिग्रहण परिषद ने सशस्त्र बलों के लिए 45 हजार करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। इसमें वायु सेना के लिए 12 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान और कम दूरी की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल ‘ध्रुवास्त्र’, सेना के लिए हल्के बख्तरबंद बहुउद्देशीय वाहन और नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के सर्वेक्षण जहाजों की खरीद की जाएगी।
आज (शुक्रवार) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में नौ पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए एओएन को मंजूरी दी गई है। चूंकि, रक्षा मंत्रालय अपनी स्वदेशीकरण महत्वाकांक्षाओं को उन्नत करने की योजना बना रहा है। इसलिए मंजूर की गईं परियोजनाओं में न्यूनतम 60-65% स्वदेशी सामग्री का लक्ष्य रखा गया है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए डीएसी ने सशस्त्र बलों के लिए 45 हजार करोड़ रुपये के नौ पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए एओएन को मंजूरी दी है। डीएसी ने अगली पीढ़ी के सर्वेक्षण जहाजों की खरीद को भी मंजूरी दी है, जिससे हाइड्रोग्राफिक संचालन करने में भारतीय नौसेना की क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया है कि यह मंजूरी स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित हथियारों की खरीद के लिए दी गई है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारतीय रक्षा उद्योग को पर्याप्त बढ़ावा देगी।
डीएसी ने सेना के लिए हल्के बख्तरबंद बहुउद्देश्यीय वाहनों (एलएएमवी) और एकीकृत निगरानी और लक्ष्यीकरण प्रणाली (आईएसएटी-एस) की खरीद के लिए एओएन को मंजूरी दी। इसके अलावा आर्टिलरी गन और राडार की तैनाती के लिए हाई मोबिलिटी व्हीकल (एचएमवी) गन टोइंग वाहनों की खरीद के लिए स्वीकृति दी गई है।
डीएसी ने भारतीय वायु सेना के उस प्रस्ताव के लिए एओएन को भी मंजूरी दे दी, जिसमें संचालन के लिए सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए डोर्नियर विमान का एवियोनिक्स अपग्रेडेशन शामिल था।
स्वदेशी रूप से निर्मित एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) मार्क-IV हेलीकॉप्टरों के लिए स्वदेशी शॉर्ट रेंज की एयर-टू-सरफेस मिसाइल ‘ध्रुवास्त्र’ खरीदने के लिए भी मंजूरी मिल गई है। वायु सेना के लिए 12 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की संबंधित उपकरणों के साथ खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को भी एओएन दिया गया है।
बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि अब स्वदेशीकरण की दिशा में महत्वाकांक्षाओं को उन्नत करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि आईडीडीएम परियोजनाओं के लिए 50% स्वदेशी सामग्री की सीमा के बजाय हमें न्यूनतम 60-65% स्वदेशी सामग्री का लक्ष्य रखना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सेवा प्रमुखों, रक्षा सचिव और डीजी (अधिग्रहण) को भारतीय उद्योग के परामर्श से न्यूनतम स्वदेशी सामग्री सीमा को बढ़ाने की दिशा में काम करने का निर्देश दिया।