शिक्षा सचिव और डीईओ के विपरीत आदेश से शिक्षक परेशान

झारखंड
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रांची। शिक्षा सचिव और रांची जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) के अलग-अलग आदेश से माध्यमिक शिक्षकों परेशानी हो रही है। उक्‍त बातें प्रवरण वेतनमान संघर्ष मोर्चा  के प्रदेश सचिव अमर नाथ झा ने कही।

झा ने कहा कि शिक्षा सचिव ने जून ’22 को माध्यमिक शिक्षकों को 24 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर मिलने वाले प्रवरण वेतनमान के लिए अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया है कि उन्हीं स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान मिलेगा, जो नियुक्ति के विषय में स्नातकोतर हों। यदि बाद में स्नातकोत्तर किये हैं तो विभागीय अनुमति होनी चाहिये।

रांची के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 7 जून, 2023 को एक पत्र सभी प्रधानाचार्य को जारी किया है। इसमें उनके विद्यालय में कार्यरत/सेवानिवृत्त सभी स्नातकोतर शिक्षकों की कागजात उपलब्ध कराने को कहा है, जिसकी सेवा 24 वर्ष की हो गई है। यह मामला 1993 से लंबित होने के कारण अधिकांश लोग सेवानिवृत्त हो गए हैं या कालकल्पित हो चुके हैं।

प्रवरण के लिए 1994 के बाद 2016 में मंत्रिमंडल से पारित अधिसूचना के मुताविक सभी स्नातक प्रशिक्षित को यह लाभ देने का प्रावधान है। इसका मार्गदर्शन भी पूर्व में वर्ष 2016 और 2017 में सचिव द्वारा निर्गत पत्र के आधार पर तत्कालीन रांची उपायुक्त की अध्यक्षता में स्थापना की बैठक कर 408 शिक्षकों का स्वीकृतादेश 2020 में निर्गत है।

रांची जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विभाग से निर्गत पत्र द्वारा उक्त स्वीकृतादेश को रद्द कर दी। इसके विरुद्ध झारखंड माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा न्यायालय में मामला दर्ज है। इसका उल्‍लेख जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी अपने पत्र में किया है।

प्रवरण वेतनमान संघर्ष मोर्चा की मांग है कि जब तक रांची का मामला कोर्ट में लम्बित है, तब तक इसे स्थगित रखा जाय। अन्यथा जिला शिक्षा पदाधिकारी पर जानबूझकर शिक्षकों को परेशान करने और न्यायालय का अवमानना माना जायेगा।