- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने की लगाई गुहार
गुमला। झारखंड के गुमला स्थित राज्य के एकमात्र मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय (फिशरीज कॉलेज) में कोर्स चलता है। हर साल यहां से 25 से 30 विद्यार्थी पास हो रहे हैं। हाल में मत्स्य पर्यवेक्षक के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली। इसकी योग्यता देख कॉलेज के पास हुए विद्यार्थियों के होश उड़ गए हैं। इसे लेकर कॉलेज के सभी छात्रों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने की गुहार लगाई है।
विद्यार्थियों का कहना है कि राज्य में फिशरीज में स्नातक की उपाधि के लिए एकमात्र महाविद्यालय मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय, गुमला है। इससे प्रतिवर्ष 25 से 30 विद्यार्थी उपाधि प्राप्त करते हैं। मात्स्यिकी एक प्रोफेशनल विषय है, जो आम स्नातक जैसे जीव विज्ञान में स्नातक से भिन्न है।
राज्य सरकार ने मत्स्य पर्यवेक्षक के पद के लिए योग्यता में मात्स्यिकी स्नातक के साथ-साथ जीव विज्ञान से स्नातक वालों को भी शामिल किया है। यह मात्स्यकी के छात्रों के साथ अन्याय है। जीव विज्ञान से स्नातक करने वाले मात्स्यिकी से सम्बंधित केवल एक विषय पढ़ते है, जबकि मात्स्यिकी स्नातक मात्स्यिकी पर पूरे चार वर्ष की पढ़ाई करते है। इसमें 67 कोर्स एवं 180 क्रेडिट होते हैं।
जीव विज्ञान से स्नातक में छात्र केवल सैद्धांतिक जानकारी प्राप्त करते हैं, जबकि मात्स्यिकी स्नातक के छात्रों को सैद्धांतिक के साथ-साथ प्रायोगिक जानकारी और फिल्ड एक्सपोजर भी होता है। ऐसे में मत्स्य विभाग से संबंधी पदों के लिए योग्यता में केवल मत्स्य स्नातक होना चाहिए। जीव विज्ञान से स्नातक करने वालों के लिए कई क्षेत्रों में अवसर हैं, परंतु मात्स्यिकी स्नातक वाले को केवल मात्स्यिकी के क्षेत्र में ही अवसर मिलता है।
विद्यार्थियों ने कहा कि किसी विद्यालय में शिक्षक के तौर पर जीव विज्ञान स्नातक जा सकते है। मात्स्यिकी से स्नातक वाले इसके लिए योग्य नहीं है। इसी तरह झारखंड लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग में भी जीव विज्ञान वाले योग्य है, परंतु मात्स्यिकी का विषय इसमें शामिल नहीं है। इससे मात्स्यिकी स्नातक को वहां अवसर नहीं मिलता है।
विद्यार्थियों का कहना है कि मात्स्यिकी स्नातक वालों के लिए बहुत ही सीमित क्षेत्र में अवसर हैं। ऐसे में जीव विज्ञान से स्नातक करने वालों को भी मत्स्य सम्बंधित क्षेत्रों में योग्यता देना मात्स्यिकी के छात्रों के साथ अन्याय है। किसी प्रोफेसनल कोर्स वाले क्षेत्र में गैर प्रोफेशनल विषय वालों को योग्यता नहीं मिलनी चाहिए।
पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा आदि में भी मत्स्य विभाग के विभिन्न पदों के लिए न्यूनतम योग्यता में मात्स्यिकी स्नातक रखा गया है। जब मत्स्य विभाग में एवं मछली से सम्बंधित क्षेत्रों में मत्स्य स्नातक होंगे, तब राज्य की मात्स्यिकी और बेहतर होगी।
झारखंड में मछली पालन में विकास की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन यह तब संभव है, जब विभाग में प्रोफेशनल एवं तकनीकी उपाधि वाले लोग काम करें। जैसा दूसरे विभागों अर्थात कृषि एवं पशुपालन में संबंधित विषयों में उपाधि प्राप्त करने वालों की ही नियुक्ति होती है।