असम। बड़ी खबर असम से आ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की मौजूदगी में पांच संगठनों के 1,182 सदस्यों ने अपने हथियार सौंपकर राष्ट्र की मुख्य धारा में लौटने की शपथ ली। मुख्यमंत्री ने आदिवासी कल्याण और विकास परिषद के गठन की घोषणा की।
गुरुवार को स्थानीय श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में एसीएमए, बीसीएफ, आनला, एसटीएफ और एपीए संगठन के 1,182 सदस्यों ने अपने हथियार सौंपकर राष्ट्र की मुख्य धारा में लौटने की शपथ ली। सभी सदस्य अपने पूरे पोशाक में उपस्थित थे।
दरअसल, इस परिषद के गठन पर गत 15 सितम्बर, 2015 को पांच आदिवासी सशस्त्र संगठनों के सरकार के साथ हुए ऐतिहासिक शांति समझौते के दौरान सहमति बनी थी।
मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आशीर्वाद से असम में विद्रोह को समाप्त कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हस्ताक्षर किये गये आदिवासी समझौते ने आदिवासियों की आकांक्षा को प्रतिबंबित करने के लिए एक कल्याण और विकास परिषद की स्थापना की है।
शपथ ग्रहण समारोह के साथ सभी ने अपनी वचनबद्धता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में शांति का प्रयास रंग लाया है। पूर्वोत्तर में शांति और प्रगति के मिशन में शामिल होने वाले विभिन्न आदिवासी विद्रोही संगठनों के 1,182 सदस्यों का हार्दिक स्वागत करता हूं।
शांति समझौते के तहत गुरुवार को राज्य में सामूहिक रूप से संगठनों को भंग करने का औपचारिक रूप से एलान किया गया। कार्यक्रम में कोकराझार जिला के गोसाईगांव स्थित माटियाजुरी स्थित शहीद भवन में संगठन को पूरी तरह से भंग करने की औपचारिकता निभाई गयी। इस मौके पर संगठन के सदस्य पूरे परिधान में अपने परिजनों के साथ मौजूद थे।
वहीं, कोकराझार जिला के नायेक गांव में आनला के अस्थायी शिविर में गुरुवार को फ्लैग डाउन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान आज हुए ऐतिहासिक समझौते को अस्थायी शिविर में आनंद और उत्साह के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम स्थल पर पांचों संगठनों के सौंपे गये हथियारों की एक प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी। कार्यक्रम के दौरान पांचों संगठनों के 16 प्रमुख नेताओं ने आदिवासी कल्याण और विकास परिषद के नाम से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद आज औपचारिक रूप से शपथ ग्रहण भी किया।
इस मौके पर असम सरकार के मंत्री संजय किसान, पियूष हजारिका, राज्य सभा सांसद कामाख्या प्रसाद तासा, पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह के साथ ही अन्य कई विधायक एवं असम पुलिस के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे।
बता दें कि वर्ष 1996 में राज्य में विशेष दो जनगोष्ठियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद अपने अधिकार की मांग करते हुए आदिवासी जनगोष्ठियों के पांच सशस्त्र संगठनों का जन्म हुआ था। इसमें एक प्रमुख संगठन आदिवासी कोबरा मिलिटेंट ऑफ असम (आकमा) भी शामिल हैं।
उक्त संगठन के कई सदस्यों ने वर्ष 2012 में युद्ध विराम की घोषणा की थी। उसके बाद राज्य और केंद्र सरकार के साथ चर्चा करते हुए 2015 में कई संगठनों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे।