उषा मार्टिन की पहल से खेती योग्‍य बनी 66 एकड़ बंजर जमीन

सरोकार झारखंड
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  • नकदी फसल और मोटे अनाज के उत्‍पादन से आत्मनिर्भरता बने किसान

रांची। आजादी के अमृतकाल में उषा मार्टिन फॉउंडेशन ने ड्रीप इरिगेशन के माध्यम से भूमि को सिंचित बनाया है। इससे बंजर और गैर उपजाऊ जमीन को मोटा अनाज एवं नकदी फसल की खेती के लिए तैयार किया गया है। इससे टाटीसिलवे स्थित कारखाना के इर्द गिर्द के गांवों के 66 एकड़ जमीन को खेतीबारी के लिए तैयार किया गया है। इस अभियान को पिछले एक साल में पूरा किया गया है।

फॉउंडेशन के सचिव डॉ मयंक मुरारी ने बताया कि यह अभियान भारत सरकार के लाइफ मिशन के तहत ऊर्जा और जल संरक्षण एवं मि‍ट्टी को बचाने के अभियान के तहत चलाया जा रहा है।

उषा मार्टिन फॉउंडेशन की ओर से पिछले एक साल से अनगड़ा और नामकोम के चिन्हित प्रगतिशील किसानों के समूह को तैयार कर खेती से आत्मनिर्भर बनाने एवं आय सृजन का अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए पहले चरण में 80 किसानों की जमीन की मि‍ट्टी जांच की गयी। इसके बाद 33 किसानों की जमीन को ड्रीप इरिगेशन के लिए चयनित किया गया।

सरकारी सहयोग से इन किसानों की खेतों में ड्रीप इरिगेशन की सुविधा मुहैया करायी गयी। इसके अनुदान की राशि कंपनी ने उपलब्ध करायी। इसके बाद किसानों को सब्जी, नकदी फसल एवं मोटे अनाज की खेती के लिए चरणबद्ध रूप से प्रशिक्षण मुहैया कराया गया। प्रशिक्षण रामकृष्ण मिशन एवं अन्य संस्थाओं के सहयोग से गांव स्तर पर संपन्न हुआ।

आठ किसानों को स्ट्रोबेरी, 25 से अधिक किसानों को तरबूज, खरबूज, सूरजमुखी एवं अन्य नकदी फसल के लिए बीज मुहैया कराया गया। इसके अलावा 16 गांवों के 400 से अधिक किसानों को गरमा और सब्जी बीज मुहैया कराया गया।

उषा मार्टिन फॉउंडेशन के माध्यम से हर चरण में किसानों से समन्वय और संपर्क बनाया गया, ताकि फसल तैयारी के दौरान कोई समस्या नहीं हो। महिलौंग के किसान भदया महतो इस सहयोग से केवल स्ट्रोबेरी से डेढ़ लाख रुपये का लाभ कमा चुके हैं।

मासु गांव के प्रेमनाथ महतो सब्जी एवं नकदी फसल से 2 लाख से अधिक कमाया है। जानुम एवं अनगड़ा के किसान भी खेती से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े हैं। किसान गांव स्तर पर अपनी खेतीबारी में आत्मनिर्भर हो, इसके लिए कंपनी के माध्यम मासू, अनगड़ा और सिलवई में पॉलीनेट स्थापित किया गया है। इससे बीज एवं पौधों के निर्माण में कीटाणु से बचाया जा सके।

डॉ मुरारी ने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में जल संचयन और सौर ऊर्जा के माध्यम से खेतीबारी को बढ़ावा देने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।