प्रोन्‍नति, बायोमेट्रिक हाजिरी सहित अन्‍य समस्या को सीएम के संज्ञान में लाएगा शिक्षक मोर्चा

झारखंड
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  • 8 वर्षों से लंबित गृह जिला व अंतर जिला स्थानांतरण जल्द करने की मांग

रांची। झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा की बैठक रांची के धुर्वा स्थित भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय में 7 मई को हुई। मोर्चा के संयोजक विजय बहादुर सिंह ने इसकी अध्यक्षता की।

उक्त बैठक में शिक्षा एवं शिक्षक हित के विभिन्‍न मुद्दों पर चर्चा हुई। इसे विभाग एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संज्ञान में लाते हुए त्वरित रूप से समाधान करने की कार्य योजना बनाई गई। छह सूत्री मांगों को पूरा करने की मांग राज्य सरकार से की गई।

बैठक में मोर्चा के संयोजक अमीन अहमद, प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार दास, मकसूद जफर हादी, नागेंद्र तिवारी, मो फखरूद्दीन, राकेश श्रीवास्तव, रामापति पांडेय आदि मौजूद थे।

मोर्चा ने शिक्षा विभाग एवं राज्य सरकार से मांगों का निराकरण जल्द करने की मांग की। कहा कि ऐसा नहीं होने पर राज्य के शिक्षक आंदोलन का रुख अपनाने के लिए बाध्य हो जाएंगें।

ये मांगें की गई

शिक्षकों को पूरे सेवाकाल में गृह जिला अथवा अंतर जिला स्थानांतरण का एक मौका दिया जाए, ताकि राज्य के विभिन्न क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाई विविधता के कारण उत्पन्न समस्याओं का समाधान किया जा सके। ज्ञात है कि प्राथमिक शिक्षा छात्रों की मातृभाषा में दिए जाने का नैसर्गिक अधिकार है l

राज्य के लगभग सभी प्राथमिक, मध्य एवं उत्क्रमित उच्च विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हो चुके हैं। वर्षों से प्रभारी के भरोसे पर चल रहे हैं। कई जिलों में तो 30-30 वर्षों से प्रोन्नति का मामला लटका है। विभागीय सचिव के स्तर से कई एक बार स्पष्ट आदेश मिलने के बावजूद जिलों में शिक्षकों की प्रोन्नति लंबित रखना पदाधिकारियों के शान का प्रतीक हो चला है। इसका प्रत्यक्ष  एवं प्रतिकूल प्रभाव शिक्षा पर पड़ रहा है।

स्नातक वाणिज्य योग्यता वाले शिक्षकों को नियम संगत रूप से ग्रेड 4 के स्नातक कला के पदों पर प्रोन्नति देकर समानता के अधिकार के हनन से रोका जाए।

छठे वेतन आयोग के अनुसार उत्क्रमित वेतनमान के अनुरूप वेतन निर्धारण किया जाए।

राज्य के अन्य कर्मचारियों के समान शिक्षकों को एमएसीपी का लाभ दिया जाए।

झारखंड बायोमेट्रिक उपस्थिति नियमावली 2015 के प्रावधानों के विपरीत शिक्षा विभाग ने ई विद्यावाहिनी के नए वर्जन 2.2.5 में ऑफलाइन उपस्थिति के विकल्प को समाप्त कर दिया है। सिर्फ ऑनलाइन उपस्थिति के आधार पर शिक्षकों के वेतन निकासी का आदेश दिया है, जो राज्य सरकार के संकल्प के विरुद्ध है। इसे अविलंब सुधारा जाए।