आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब, सीएम नीतीश ने जेल नियमावली में किया था बदलाव

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। बड़ी खबर दिल्ली से आयी है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को समय से पहले रिहा करने पर केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।

बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में हुई हत्या के मामले में आनंद मोहन आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, बिहार सरकार और मोहन को नोटिस जारी किया। बता दें कि अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला बताया।

यहां बता दें कि शीर्ष अदालत ने एक मई को याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी और इसे आठ मई के लिए सूचीबद्ध किया था। उल्लेखनीय है कि बिहार के जेल नियमों में संशोधन के बाद आनंद मोहन को 27 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा का मतलब यह है कि वह जीवनभर कारावास में रहें। जब अदालत द्वारा किसी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो उस सजा को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

आनंद मोहन का नाम उन 20 से अधिक कैदियों की सूची में शामिल था, जिन्हें इस सप्ताह के शुरू में राज्य के कानून विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना द्वारा रिहा करने का आदेश दिया गया था। वह 14 साल से ज्यादा जेल में बिता चुके हैं। बता दें कि नीतीश कुमार सरकार द्वारा बिहार जेल नियमावली में 10 अप्रैल को किए गए संशोधन के बाद उनकी सजा में छूट दी गई, जिसके तहत ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या में शामिल लोगों की जल्द रिहाई पर प्रतिबंध हटा दिया गया था।