रांची। झारखंड उच्च न्यायालय की लैंगिक संवेदनशीलता एवं आंतरिक शिकायत समिति के तत्वावधान में 17 मार्च को व्हाइट हॉल में लैंगिक संवेदनशीलता पर कार्यक्रम हुआ। मुख्य अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्र थे। विशिष्टि अतिथि न्यायमूर्ति श्रीमती अनुभा रावत चौधरी थीं।
यह कार्यक्रम झारखंड उच्च न्यायालय की लैंगिक संवेदनशीलता एवं आंतरिक शिकायत समिति के तत्वावधान में पहली बार हुआ। इस अवसर पर 120 सदस्य उपस्थित रहे। इसमें उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल, अपर महाधिवक्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता, झारखंड उच्च न्यायालय के लैंगिक संवेदनशीलता एवं आंतरिक शिकायत समिति के सदस्य राम सिंह एवं सुश्री दर्शना पोद्दार, उच्च न्यायालय के महानिबंधक मोहम्मद शाकिर सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी, बैंक एवं पोस्ट ऑफिस के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्र ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम निषेध व निवारण) अधिनियम, 2013 के क्रमिक विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 25 जून 1993 को Convention on Elimination of All Forms of Discrimination against Womneri (CEADW) का अनुमोदन किया। उन्होंने अपना व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किया।

न्यायमूर्ति श्रीमति अनुभा रावत चौधरी ने झारखंड उच्च न्यायलय (रोकथाम निषेध व निवारण) विनियमन, 2021 में अंकित प्रावधानों की विवेचन की। उन्होंने बताया कि उक्त अधिकारों का अगर महिलाओं द्वारा दुरूपयोग किया गया तो उनके विरूद्ध भी कानून सम्मत कार्रवाई का प्रावधान है। न्यायालय परिसर में लैंगिक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाये रखने का अनुरोध किया।
कार्यक्रम विशाखा गाईडलाइन के आलोक में महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम निषेध व निवारण) अधिनियम 2013 के तहत किया गया। सदस्य-सचिव श्रीमति तन्वी के धन्यवाद किया।