केंद्र के 19 मंत्रालय के 42 अधिनियमों में सुधार का सुझाव देगी संसदीय समिति

झारखंड
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  • अधिनियमों में संशोधन के लिए बनी संयुक्त समिति की बैठक संपन्न

रांची। भारत सरकार के 19 मंत्रालयों के 42 अधिनियमों में संशोधन के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति की बैठक नई दिल्ली में 9 जनवरी को हुई। इसमें अनावश्यक कानूनों/प्रक्रियाओं को हटाने/सरलीकरण, गौण अपराधों का गैर अपराधीकरण करने, विभिन्न नियमों के अनुपालन का बोझ कम करने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

बैठक में बताया गया कि ऐसे अधिनियम जिससे आम जनता को बेवजह परेशानी होती है, उसे समाप्त करने के लिए या उसमें सुधार करने के लिए इस समिति का गठन किया गया है। अब तक देश में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद ऐसे अनुपालन में कमी की स्थिति का भी एक अध्ययन किया गया है।

इसमें भारत सरकार ने 4685 अनुपालनो को चिन्हित किया है, जिसके वजह से जनता को समस्या होती है। इनमें 2765 अनुपालनों को कम कर दिया गया है, जबकि 648 अनुपालन को समीक्षा के अधीन रखा गया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि 1282 अनुपालन जिस स्थिति में है, वैसे ही रखे जाएंगे। कुल मिलाकर अनावश्यक 7% प्रावधानों को समाप्त किया गया है।

इसके साथ ही गैर अपराधीकरण की श्रेणी में 9% अनुपालनों को रखा गया है। 49% अनुपालनो का डिजिटलीकरण कर लिया गया है और 35% अनुपालन का सरलीकरण किया गया है। कुल 19387 अनुपालन का डिजिटलीकरण हुआ है। 13775 रनों का सरलीकरण किया गया है।

बैठक में रांची सांसद संजय सेठ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही यह कहा है कि देश की जनता अनावश्यक कानूनों के बोझ तले नहीं दबे। निश्चिंत होकर अपने रोजमर्रा की जिंदगी में काम कर सके, कानून जनता के लिए बोझ नहीं बने, इस सोच के साथ अब भारत आगे बढ़ेगा। आजादी के 75 वर्षों के बाद भी कई ऐसे ब्रिटिश जमाने के कानून है, जिस के बोझ तले जनता दबी हुई है। इसका सरलीकरण समय के साथ बहुत ही आवश्यक है।

बैठक में सांसद संजय सेठ ने पर्यावरण, मोटर वाहन, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, किसान कल्याण से संबंधित कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। सेठ ने बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि कोई ग्रामीण गलती से वन क्षेत्र में अपने मवेशी चराने चला जाता है और इसके लिए उसे 6 माह तक कारावास की सजा भुगतनी पड़ती है।

इसके अलावा ट्रेनों में भीख मांगने जैसे मामले में भी 1 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। बिना भुगतान के डाक से सामान भेजने के लिए भी 2 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। यह सब ऐसे कानून हैं, जिससे आम जनता बहुत बुरी तरह प्रभावित होती है। निश्चित रूप से ऐसे कानूनों में सुधार की जरूरत है। ऐसे कई कानूनों को समाप्त करने की जरूरत है।

ब्रिटिश जमाने के कानूनों को आखिर हम क्यों ढोएं। अंग्रेजों ने अपनी शासन व्यवस्था चलाने के लिए भारतीयों पर कानून का बोझ डालने के लिए, जानबूझकर ऐसे कई नियम बनाएं। जिसे अब समाप्त करने की या उसमें सुधार की जरूरत है।