नई दिल्ली। बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है। यहां जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद पर देशद्रोह का मुकदमा चलेगा। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शेहला राशिद शोरा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
अधिकारियों के अनुसार, यह मामला शेहला राशिद के खिलाफ 2019 में दर्ज एक FIR से संबंधित है। शेहला ने अगस्त 2019 में दो विवादित ट्वीट कर सेना पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसे लेकर वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सितंबर, 2019 में प्राथमिकी दर्ज की और अब राशिद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की सदस्य शेहला वर्ष 2015 से 2016 तक जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष भी रही है।
LG कार्यालय के मुताबिक, भारतीय सेना (Indian Army) के खिलाफ ट्वीट करके नफरत फैलाने के आरोप में शेहला राशिद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। सेना ने इन आरोपों को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया था। इसके अलावा शेहला पर अपने ट्वीट के माध्यम से विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और सौहार्द बिगाड़ने वाले कार्यों में शामिल रहने का आरोप है।
तीन सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसपर केस दर्ज किया था। शेहला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए स्वीकृति का प्रस्ताव दिल्ली सरकार के गृह विभाग को भेजा गया था। उनकी संस्तुति के बाद दिल्ली पुलिस ने इसे मंजूरी के लिए उपराज्यपाल कार्यालय को भेजा। उपराज्यपाल ने अब इस पर मंजूरी दे दी है।
यहां बता दें कि 35 वर्षीय शेहला पहले भी विवादों में रही है। फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में हुई देशविरोधी नारेबाजी के मामले में पहली बार शेहला राशिद का नाम सुर्खियों में आया था। उस समय शहला जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष थी।
इसके बाद वो लगातार ट्विटर पर ट्रोलर्स के निशाने पर भी रही है। दिसंबर 2020 में शेहला के पिता ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर अपनी बेटी से जान का खतरा बताया था। साथ ही शेहला पर देशविरोधी होने का भी आरोप लगाया था।
फरवरी 2019 में देहरादून पुलिस ने भी शेहला के खिलाफ मामला दर्ज किया था। वजह ये थी कि शेहला पर देहरादून के छात्रावास में 15-20 कश्मीरी लड़कियों को बंधक बनाने का आरोप लगा था।