- सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले रेत उत्पादन पर ध्यान केंद्रित
नई दिल्ली। कोल इंडिया की सहायक कंपनियां 2024 तक पांच एम-रेत संयत्र चालू करेगी। कंपनी ने बड़े पैमाने पर एम-सैंड परियोजनाओं की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले रेत उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया है।
लघु खनिज के रूप में वर्गीकृत
खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) के तहत रेत को ‘लघु खनिज’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। गौण खनिजों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है। तदनुसार इसे राज्य विशिष्ट नियमों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। अधिक मांग, नियमित आपूर्ति और मानसून के दौरान नदी के इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण नदी की रेत का विकल्प खोजना बहुत आवश्यक हो गया है। खान मंत्रालय द्वारा तैयार ‘सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क’ (2018) में कोयले की खानों के ओवरबर्डन (ओबी) से क्रशड रॉक फाइन्स (क्रशर डस्ट) से निर्मित रेत (एम-सैंड) के रूप में प्राप्त रेत के वैकल्पिक स्रोतों की परिकल्पना की गई है।
डंप में फेंक दिया जाता है
‘ओपनकास्ट माइनिंग’ के दौरान कोयला निकालने के लिए ऊपर की मिट्टी और चट्टानों को कचरे के रूप में हटा दिया जाता है। खंडित चट्टान (ओवरबर्डन या ओबी) को डंप में फेंक दिया जाता है। अधिकांश कचरे का सतह पर ही निपटान किया जाता है, जो काफी भूमि क्षेत्र को घेर लेता है। खनन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए व्यापक योजना और नियंत्रण की आवश्यकता होती है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने खानों में रेत के उत्पादन के लिए ओवरबर्डन चट्टानों को प्रोसेस करने की परिकल्पना की है, जहां ओबी सामग्री में लगभग 60 प्रतिशत बलुआ पत्थर होता है। उसका ओवरबर्डन को कुचलने और प्रसंस्करण करने के माध्यम से उपयोग किया जा सकता है।
मॉडल बोली दस्तावेज तैयार किया
ओबी से सैंड पहल में तेजी लाने के लिए सीआईएल ने सहायक कंपनियों में ऐसे ही अन्य संयंत्र स्थापित करने के लिए एक मॉडल बोली दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें व्यापक भागीदारी के लिए नियम और शर्तों को संशोधित किया गया है। सफल बोलीदाता को उत्पादित रेत का विक्रय मूल्य और विपणन योग्यता निर्धारित करने की स्वतंत्रता होगी।
कंपनियां कर रही कमाई
डब्ल्यूसीएल ने सड़क निर्माण, रेलवे के लिए निर्माण, भूमि आधार समतलीकरण और अन्य प्रयोगों के लिए 1,42,749 एम3 ओबी बेचा है और 1.54 करोड़ रुपये अर्जित हैं। एसईसीएल ने रेलवे साइडिंग और एफएमसी परियोजनाओं के लिए भी 14,10,000 घन मीटर ओबी का उपयोग किया है। सीआईएल की अन्य सहायक कंपनियां भी अन्य उद्देश्यों के लिए अपने ओबी का उपयोग करने के लिए इसी तरह की पहल कर रही हैं।
मई में उत्पादन शुरू
प्रस्तावित पांच संयंत्रों में से डब्ल्यूसीएल के बल्लारपुर संयंत्र में मई 2023 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। चार संयंत्र (डब्ल्यूसीएल, एसईसीएल, बीसीसीएल और सीसीएल में एक-एक) निविदा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।
ओबी से रेत संयंत्रों की स्थिति
मौजूदा ओबी से रेत संयंत्र (क्षमता : 4250)
कंपनी | सयंत्र का नाम | उत्पादन क्षमता (सीयूएम/दिन) |
डब्ल्यूसीएल | भानेगांव | 250 |
डब्ल्यूसीएल | गोंडेगांव | 2000 |
ईसीएल | कजोरा क्षेत्र | 1000 |
एनसीएल | अमलोहरी | 1000 |
प्रस्तावित ओबी से रेत संयंत्र (क्षमता : 5500)
कंपनी | संयंत्र का नाम | उत्पादन क्षमता (सीयूएम/ प्रतिदिन) | कार्य शुरू होने अनुमानित तिथि |
डब्ल्यूसीएल | बल्लारपुर | 2000 | मई, 2023 |
डब्ल्यूसीएल | दुर्गापुर | 1000 | मार्च, 2024 |
एसईसीएल़़ | मानिकपुर | 1000 | फरवरी, 2024 |
सीसीएल | कथारा | 500 | दिसंबर, 2023 |
बीसीसीएल | बरोरा क्षेत्र | 1000 | जुलाई, 2024 |