नई दिल्ली। खबर खेल जगत से है। शनिवार को पीटी उषा को भारतीय ओलंपिक संघ का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया है। वे पहली भारतीय महिला एथलीट हैं, जो भारतीय ओलंपिक संघ की प्रेसीडेंट बनी हैं।
इससे पहले सिर्फ महाराजा यादविंदर सिंह ही ऐसे खिलाड़ी थे जो ओलंपिक संघ के अध्यक्ष बने थे। देश की महान धावक पीटी उषा को 10 दिसंबर को प्रेसीडेंट पद पर चुना गया।
भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष बनने के बाद उड़नपरी पीटी उषा ने कहा कि उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि वे ओलंपिक संघ की प्रेसीडेंट बनेंगी। 58 वर्षीय पीटी उषा ने कहा कि- अब तक की जिंदगी में मैंने सिर्फ 13 साल ही बिना स्पोर्ट के बिताए हैं।
मैं एक एथलीट, कोच और प्रशासक के तौर पर हमेशा सक्रिय रही हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ओलंपिक संघ की प्रेसीडेंट बनूंगी या फिर राज्यसभा सभा सांसद बनूंगी, लेकिन यह सब सिर्फ स्पोर्ट्स की वजह से संभव हुआ है।
बता दें कि पीटी उषा ने नौ साल की छोटी उम्र में एथलेटिक्स में कदम रखा और तब वह केरल के कोझिकोड जिले में अपने पैतृक गांव के पास पय्योली के एक स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ रही थीं। इसके बाद उनका करियर शानदार रहा। जिसके दौरान उन्होंने कई एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक जीते और 1984 के ओलंपिक 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में चौथा स्थान हासिल किया।
उन्होंने 1990 में अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की और शादी की। उसके बचपन के शुरुआती नौ साल और 1990 से 1994 के बीच के चार साल वे 13 साल थे, जिनका वह जिक्र कर रही थीं। 2000 के बाद वह अपनी अकादमी -उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स में होनहार एथलीटों के संरक्षक के रूप में एथलेटिक्स से जुड़ी रहीं।
वह वर्तमान में इसकी जूनियर चयन समिति की अध्यक्ष हैं। उन्होंने सरकार की राष्ट्रीय पुरस्कार समितियों में भी काम किया है। उषा ने कहा कि राष्ट्रीय महासंघों, एथलीट आयोग और एसओएम (उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ियों) ने मुझे अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए प्रेरित किया। मैं उन सभी की शुक्रगुजार हूं।