बच्चों की देखभाल उनके परिवार में ही हो, इसे प्राथमिकता में करें शामिल : राजेश्वरी बी

झारखंड
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  • झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था द्वारा आयोजित आफ्टर केयर कार्यशाला का आयोजन

रांची। कोरोना और अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों की देखभाल उनके परिवार में ही सुनिश्चित कराई जाए। ऐसे बच्चों को जिम्मेवार नागरिक बनाने की पहल 14 वर्ष से ही प्रारंभ हो जानी चाहिए, ताकि बच्चे जब 18 वर्ष के होने के बाद बालगृह को छोड़कर बाहर जाए, तब आत्मनिर्भर बन सके। उक्त बातें मनरेगा आयुक्त श्रीमती राजेश्वरी बी ने कही। वह झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था द्वारा आयोजित आफ्टर केयर कार्यशाला को मंगलवार को संबोधित कर रही थी।

श्रीमती राजेश्वरी बी ने कहा कि बच्चों की देखभाल उनके परिवार में ही हो, यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। हालांकि कुछ अनाथ बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्हें संस्थागत देखभाल की जरूरत होती है। राज्य के दिशा-निर्देश में इन सभी बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। साथ ही यह प्रयास होना चाहिए कि आफ्टर केयर दिशा-निर्देश परिणाम आधारित हो।

इस दौरान सभी प्रतिभागियों को निर्देश दिया गया कि जो कानून का उल्लघंन कर चुके हैं, उनके मामले समाप्त करा कर ऐसे बच्चों का देखभाल उनके परिवार में ही सुनिश्चित कराई जाए।

बता दें कि  महिला एवं बाल विकास सामाजिक सुरक्षा विभाग, झारखंड सरकार एवं झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्थान द्वारा राज्य स्तर के सौजन्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कंसल्टेशन में यूनिसेफ के बाल सरंक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि देखभाल की जरूरत वाले बच्चों में उचित योग्यता का विकास कर और उन्हें सरकार के विभिन्न योजनाओं से जोड़कर आत्मनिर्भर और स्वतंत्र जीवन जीने योग्य बनाया जा सकता है। बाल गृह में  से निकलने के बाद बच्चे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक बदलाव के दौर से गुजरते हैं। अतः उन्हे सहयोग की जरूरत होती है। इसके लिए उन्होंने सरकार के विभिन्न विभागों के बीच तालमेल पर विशेष जोर दिया।

राजस्थान के बाल संरक्षण विशेषज्ञ गोविंद बेनीवाल ने देश में आफ्टर केयर की यथास्थिति विभिन्न राज्यों के प्रयास के पर प्रकाश डालने के साथ-साथ झारखंड राज्य दिशा-निर्देश के लिए आवश्यक सुझाव दिया।

कंसल्टेशन को रिनपास की डॉक्टर मनीषा, झालसा के उप सचिव मनीष मिश्रा, कौशल विकास मिशन के विनय कुमार और आजीविका मिशन के नुपुर ने भी आफ्टर केयर दिशानिर्देश के लिए आवश्यक सुझाव दिए।

कंसल्टेशन में झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था के पदाधिकारी, जिला बाल सरंक्ष संरक्षण पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, झालसा, आशा, मिराकल फाउंडेशन, बाल कुंज, रिनपास, जेएसएलपीएस, सिनी, बाल देखभाल गृह,  राज्य के स्वयंसेवी संस्थाओं, बाल गृह के गृहपति, बाल गृहों में रहे 18 वर्ष से बड़े बच्चे, यूनिसेफ के परामर्शी, सेंटेर फॉर चाइल्ड राइट्स के पदाधिकारियों सहित 47 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।