बीएयू की विकसित तीसी की नई किस्म की केंद्रीय एजेंसी ने जारी की अधिसूचना, जानें खूबी

झारखंड
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रांची। केन्द्रीय उप आयुक्त (कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय) ने 30 नवंबर को ‘बिरसा तीसी-2 (बीएयू -14-09)’ का गजट जारी किया है. इसे रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित किया है.

भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केन्द्रीय उप समिति नये विकसित फसलों का अनुमोदन करती है. इस नयी किस्म की अधिसूचना डॉ टीआर शर्मा, उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान), आईसीएआर की अध्यक्षता में आयोजित केन्द्रीय उप समिति की 89 वीं बैठक में 47 सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदन के उपरांत जारी की गई है.

बिरसा तीसी – 2 की विशेषताएं

इस किस्म को देश के 25 वर्षाश्रित क्षेत्रों में तीन वर्षों के प्रदर्शन के आधार पर जारी किया गया है. इस किस्म की उपज क्षमता 13.83 क्विंटल/ हेक्टेयर है, जो नेशनल चेक (टी – 397) एवं जोनल चेक (प्रियम) की अपेक्षा करीब 11 प्रतिशत सुपीरियर है. इन दोनों की अपेक्षा इसकी (परिपक्वता अवधि 128-130 दिन) भी कम है. इसमें करीब 44.54 % तेल की मात्रा पाई गयी है, जो नेशनल एवं जोनल किस्मों से अधिक है. यह किस्म रस्ट रोग के प्रति उच्च प्रतिरोधी और विल्ट, अल्टरनरिया ब्लाइट, पाउडरी माइल्डयू एवं बडफ्लाई रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है.

इन वैज्ञानिकों की टीम को सफलता मिली

झारखंड के लिए उपयुक्त इस नयी किस्म को आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित तीसी व कुसुम फसल परियोजना, रांची केंद्र के परियोजना अन्वेंषक एवं मुख्य प्लांट ब्रीडर (तेलहनी फसल) के नेतृत्व विकसित किया गया है. इस किस्म को वर्षो शोध उपरांत विकसित करने में शोध से जुड़े बीएयू वैज्ञानिक डॉ परवेज आलम, डॉ सविता एक्का, डॉ एमके वर्नवाल, डॉ रबिन्द्र प्रसाद, डॉ एकलाख अहमद, डॉ सुनील कुमार, डॉ एनपी यादव, डॉ नरगिस कुमारी एवं डॉ वर्षा रानी तथा सहयोगी फील्ड स्टाफ जयंत कुमार राम, देवेन्द्र कुमार सिंह, विशु उरांव एवं राम लाल उरांव का योगदान रहा है.

तीसी की तीन किस्मों का मिला है अनुमोदन

परियोजना अन्वेंषक (तीसी एवं कुसुम फसल) डॉ सोहन राम ने नये उन्नत किस्म ‘बिरसा तीसी-2’ की केन्द्रीय एजेंसी से अधिसूचना जारी होने पर कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह एवं निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल, पूर्व निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद के मार्गदर्शन एवं निर्देश के प्रति आभार जताया है. उन्होंने शोध से जुड़े सभी वैज्ञानिकों एवं फील्ड स्टाफ का वर्षो निरंतर सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि इससे रांची केंद्र द्वारा परियोजना के अधीन तीसी फसल की विकसित तीन प्रभेदों (प्रीयम, दिव्या एवं बिरसा तीसी-1) को सेंट्रल वेरायटल रिलीज़ कमेटी से अनुमोदन मिल चुका है.

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इस सफलता को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की भावी सोच व मार्गदर्शन और कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीख पी की भावी रणनीति एवं निरंतर सहयोग का प्रतिफल बताया. इनके प्रोत्साहन से ही बीएयू वैज्ञानिक को विगत वर्ष में दशकों बाद प्रदेश के उपयुक्त दर्जनों उन्नत किस्मों को विकसित करने में सफलता मिली है. कुलपति ने तीसी, सरगुजा एवं सरसों फसल के उन्नत किस्मों के विकास में डॉ सोहन राम के योगदान की प्रशंसा की है.