मत्स्य आहार ‘रेशमीन’ का पेटेंट करा रहा केन्द्रीय तसर अनुसंधान संस्थान

झारखंड
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रांची। केन्द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नगड़ी में 25 नवंबर, 2022 को अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक हुई। इसमें 15 संचालित परियोजना, 1 सम्पन्न परियोजना और 10 नई परियोजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक की अध्यक्षता बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार नाथ सिंह ने की।

कुलपति ने कहा कि वन्य रेशम के क्षेत्र में अभी भी कई चुनौतियां हैं। हमें ध्यान केन्द्रित करते हुए अनुसंधानों को उस दिशा में ले जाना होगा। परिस्थितियों के अनुरूप भविष्य की रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।

बैठक के आरम्भ में संस्थान के निदेशक डॉ के सत्यनारायण ने अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने तसर उत्पादक राज्यों के हितधारकों की बेहतरी के लिए किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया। भविष्य की रणनीतियों का ब्योरा दिया।

निदेशक ने बताया किया कि केन्द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय अंतर्देशीय मत्स्य की संस्थान (बैरकपुर, पश्चिम बंगाल) के सहयोग से मत्स्य आहार के रूप में रेशमीन का विकास किया है। उसका प्रदर्शन छत्तीसगढ़, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में किया गया है। इसके परिणाम उत्सासहवर्द्धक मिले हैं। इस उत्पाद के पेटेंटिंग प्रक्रिया शुरू की गई है।

इस अवसर पर डॉ नितिन कुलकर्णी, निदेशक, वन उत्पादकता संस्थान (रांची), डॉ सुनील कुमार दूबे, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली, डॉ.पी.के.मिश्रा, पूर्व निदेशक, केन्द्रीय रेशम बोर्ड, डॉ ए वेणुगोपाल, निदेशक, बुनियादी तसर रेशमकीट बीज संगठन, बिलासपुर, डॉ एनबी चौधरी, वैज्ञानिक-डी, बुनियादी तसर रेशमकीट बीज संगठन, बिलासपुर, के जगन्नाथन, वैज्ञानिक-डी, केन्द्रीय रेशम प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूर, मो शमशाद आलम, सीईओ, टीडीएफ, रांची, डॉ पी संगन्वार, वैज्ञानिक-सी, केरेबो, बेंगलूर, समर बहादुर शेखर, सहायक उद्योग निदेशक (रेशम), रांची ने अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा की। कार्यक्रम का संचालन डॉ जितेन्द्र सिंह (वैज्ञानिक-सी) ने किया।