नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ शुरू, जानें कब दिया जाएगा डूबते और उगते सूर्य देव को अर्घ्य

झारखंड
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रांची। लोक आस्था का महापर्व छठ इस साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी आज से शुरू हो रही है.

कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है. यही वजह है कि इस पर्व को सूर्य षष्ठी कहते हैं. छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में काफी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा में छठी मैया और सूर्य देव की उपासना की जाती है. उगते और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवने के लिए 36 घंटों का निर्जला व्रत सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करती हैं. ऐसे में जानते हैं कि साल 2022 में छठ पर्व कब से शुरू हो रहा है और छठ पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है.

छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय पड़ता है. पंचांग के अनुसार यह तिथि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी कहलाती है. इस दिन व्रती महिलाएं कुछ खास नियम का पालन करती हैं. इस दिन व्रती अपने घर की साफ-सफाई और पूजन की सामग्रियों की व्यवस्था करती हैं.

इसके साथ ही छठ व्रती इस दिन स्नान करने के बाद सात्विक भोजन करती हैं. जिसके बाद परिवार के अन्य लोग भोजन करते हैं.

तिथि के हिसाब से छठ पर्व का खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी को पड़ता है. इस साल छठ पर्व का खरना 29 अक्टूबर शनिवार को पड़ रहा है. खरना के दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं. इसके साथ ही इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करके छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार करती हैं. छठी मैया और सूर्य के निमित्त प्रसाद तैयार करने के लिए शुद्ध बर्तन और मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है.

इसके अलावा इस दिन शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाया जाता है. जिसे शाम की पूजा के बाद घर के सदस्यों के बीच बांटा जाता है. व्रती खुद भी इस खीर का सेवन करती हैं.

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि बेहद खास होती है. व्रती इस दिन दोपहर के समय पूजन के लिए प्रसाद और पकवान बनाती है. इस दिन विशेष रूप से प्रसाद के तौर पर ठेकुआ, पूड़ी इत्यादि बनाए जाते हैं. शाम के समय सभी छठघाट पर जाते हैं. वहां अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 37 मिनट है.

कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन व्रती और भक्त सूर्योदय से पहले जल में खड़े होकर हाथ में नारियल और धूप लेकर भगवान सूर्य के उदित होने का इंतजार करते हैं.

सूर्योदय होने पर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. जिसके बाद सभी व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण करती हैं. सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 31 मिनट है.