विवेक चौबे
गढ़वा। जिले के कांडी प्रखंड मुख्यालय में लगभग 20 वर्ष पूर्व आइटीआई भवन बनकर तैयार है, जिसका आजतक ताला ही नहीं खुला। सोन नदी तट और झारखंड-बिहार की सीमा स्थित कांडी प्रखंड की आबादी करीब सवा लाख से भी अधिक है। पहले से कांडी प्रखंड में तेरह पंचायत थे। इनमें तीन पंचायत और शामिल हो गए हैं।
यहां की आबादी में 70 से 80 हजार युवाओं की संख्या हैं। यह आबादी बिना हुनर के है। वे अकुशल मजदूर के रूप में मात्र ईट, सीमेंट, गिट्टी ढोने, मिट्टी खोदने या बहुत हुआ तो अन्य प्रदेशों में सरिया सैट्रिंग करने को लाचार हैं।
बाहर जाकर बेहद खतरनाक परिस्थितियों में अनस्किल्ड मजदूर के रूप में काम करते हुए प्रति वर्ष औसतन डेढ़ दर्जन मजदूरों की दुर्घटनाग्रस्त होकर मौत हो जाती है। राष्ट्र निर्माण करने में सक्षम युवा शक्ति की ऐसी दुर्दशा कांडी में है।
कांडी में आईटीआई बनने से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। उन्हें अपने घर के निकट ही इलेक्ट्रिशियन, फिटर, वेल्डर, मोल्डर, टर्नर आदि की ट्रेनिंग लेकर रोजी रोजगार से जुड़ जाने की आस जगने से बेहद खुशी हुई थी। हालांकि लंबे इंतजार ने आखिर दम तोड़ दिया।
बिना आईटीआई की स्वीकृति के वर्ष 2001-02 में ही दस लाख रुपये की प्राक्कलित राशि से मात्र ठेकेदारी के लिए कांडी में आईटीआई का भवन बना दिया गया। करीब दो दशक बीत जाने के बाद भी यह चालू नहीं हो सका। आज इस भवन के आसपास झाड़ियां उग गई है।
भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष रामलला दुबे ने कहा कि आजतक इस परिस्थिति की ओर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। इसके कारण प्रखंड के युवाओं को स्थानीय स्तर पर तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध नहीं हुई। उन्होंने कई बार विभिन्न माध्यमों से सरकार और प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराने का कार्य किया है। बावजूद इसके उसपर संज्ञान नहीं लिया गया।